
देहरादून: उत्तराखंड में गंगा सहित अन्य नदियों पर राफ्टिंग कराने वाले गाइडों की सुरक्षा और तकनीकी दक्षता बढ़ाने के लिए बड़ा फैसला लिया गया है। अब प्रदेश में राफ्टिंग कराने वाले सभी गाइडों के लिए तीन दिन का प्राथमिक चिकित्सा (फर्स्ट एड) और सीपीआर प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया गया है।
सचिवालय में सचिव पर्यटन धीराज गर्ब्याल की अध्यक्षता में राफ्टिंग एसोसिएशन के साथ आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में राज्य में राफ्टिंग गतिविधियों को और अधिक सुरक्षित, संगठित और पेशेवर बनाने पर विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक में तय किया गया कि प्रदेश भर के करीब 900 राफ्टिंग गाइडों को फर्स्ट एड और सीपीआर से संबंधित तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि किसी भी दुर्घटना या आपात स्थिति में गाइड तत्काल प्राथमिक उपचार उपलब्ध करा सकें और जान-माल के नुकसान को कम किया जा सके।
प्रशिक्षण कार्यक्रम को यूएसए की हैनीफिल सेंटर संस्था के माध्यम से चरणबद्ध तरीके से आयोजित किया जाएगा। इसमें गाइडों को प्राथमिक चिकित्सा, सीपीआर, आपातकालीन प्रतिक्रिया और रेस्क्यू से जुड़ी आधुनिक तकनीकों की जानकारी दी जाएगी।
इसके साथ ही राफ्टिंग एसोसिएशन के प्रस्ताव पर राफ्टिंग गाइडों की अधिकतम आयु सीमा 50 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष करने पर भी सहमति बनी। अधिकारियों का मानना है कि अनुभवी गाइडों की सेवाएं लंबे समय तक मिलने से राफ्टिंग संचालन की गुणवत्ता और सुरक्षा दोनों में सुधार होगा।
पर्यटन विभाग का कहना है कि इन निर्णयों से राफ्टिंग पर्यटन को और सुरक्षित, भरोसेमंद और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाया जा सकेगा। साथ ही इससे प्रदेश में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और पर्यटकों का विश्वास भी मजबूत होगा।