
हरिद्वार: सनातन धर्म की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक परंपराओं को विश्व मंच पर स्थापित करने के उद्देश्य से उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में विश्व सनातन महापीठ का निर्माण किया जाएगा। यह महत्त्वाकांक्षी परियोजना करीब 100 एकड़ भूमि पर विकसित की जाएगी, जो सनातन संस्कृति के संरक्षण, प्रचार और प्रसार का वैश्विक केंद्र बनेगी।
तीर्थ सेवा न्यास के अध्यक्ष एवं महापीठाधीश्वर तीर्थाचार्य राम विशाल दास महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि विश्व सनातन महापीठ की संपूर्ण संरचना वैदिक स्थापत्य सिद्धांतों पर आधारित होगी। इस परियोजना को वर्ष 2025 से 2032 तक चरणबद्ध तरीके से पूर्ण करने की योजना है।
महापीठ परिसर में सनातन संसद की स्थापना की जाएगी, जहां धर्म, समाज और राष्ट्र से जुड़े विषयों पर विचार-विमर्श होगा। इसके साथ ही वेद मंदिर, दो हजार विद्यार्थियों की क्षमता वाला गुरुकुल, यज्ञशालाएं, संतों और श्रद्धालुओं के लिए आवासीय व्यवस्था, गो संरक्षण केंद्र, सनातन संग्रहालय और विशाल धर्मसभा मैदान विकसित किए जाएंगे।
परियोजना के अंतर्गत सनातन संस्कृति से जुड़े योद्धाओं और सेवाभावी युवाओं को प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था की जाएगी। प्रशिक्षण कार्यक्रम में आत्मरक्षा, शारीरिक व मानसिक सुदृढ़ता, योग, साधना, अनुशासन और सामाजिक दायित्वबोध पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
महापीठ का उद्देश्य केवल धार्मिक गतिविधियों तक सीमित न रहकर शिक्षा, सेवा, संस्कृति और सामाजिक चेतना को बढ़ावा देना है। इसके माध्यम से सनातन धर्म के मूल्यों को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने के साथ-साथ भावी पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।
विश्व सनातन महापीठ के निर्माण से हरिद्वार को एक अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक केंद्र के रूप में नई पहचान मिलने की उम्मीद है, जिससे धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक संवाद और स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।