
देहरादून: राजधानी देहरादून में एक संवेदनशील मामला सामने आया है, जहां पीड़ित चंदन गुप्ता को लावारिश कुत्तों को खाना खिलाने के चलते हिंसक हमले का शिकार होना पड़ा। मामला दर्ज कराने के लिए उन्होंने पुलिस थाने के कई चक्कर लगाए, लेकिन पुलिस ने मौखिक समझौते का हवाला देते हुए रिपोर्ट दर्ज करने से इनकार कर दिया।
घटना के बाद से चंदन न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खाते रहे। अंततः कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद करीब डेढ़ साल बाद मुकदमा दर्ज किया गया।
चंदन गुप्ता ने आरोप लगाया कि एक दिन जब वह रोज़ की तरह कुत्तों को खाना खिला रहे थे, तभी कुछ लोगों ने लाठी और तलवार से उन पर हमला कर दिया। हमले में उन्हें गंभीर चोटें आईं और हमलावरों ने उनकी कार में भी तोड़फोड़ की।
पीड़ित के अनुसार, उन्होंने घटना की शिकायत तत्काल पुलिस को दी थी, लेकिन कार्रवाई के बजाय उन्हें यह कहकर टाल दिया गया कि दोनों पक्षों के बीच “समझौता” हो चुका है। चंदन का कहना है कि ऐसा कोई समझौता कभी हुआ ही नहीं।
लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद जब मामला अदालत पहुंचा, तब जाकर पुलिस ने आखिरकार एफआईआर दर्ज की।
स्थानीय नागरिकों ने इस घटना को लेकर पुलिस के रवैये पर नाराजगी जताई है और कहा है कि “अगर अदालत हस्तक्षेप न करती, तो यह मामला दबा दिया जाता।”
सामाजिक संगठनों ने भी प्रशासन से मांग की है कि ऐसे मामलों में पारदर्शी और निष्पक्ष जांच हो ताकि पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सके।