
देहरादून: नई शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों के तहत स्थापित विद्या समीक्षा केन्द्र प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव का एक सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। इस अभिनव पहल के तहत विभाग में डेटा आधारित नीतिगत निर्णय लिये जा रहे हैं, जिससे शिक्षण गुणवत्ता, उपस्थिति और संसाधनों के प्रबंधन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। विद्या समीक्षा केन्द्र से अब तक प्रदेश के 16,052 विद्यालयों को जोड़ा गया है, साथ ही 46 हजार से अधिक शिक्षकों को सतत पेशेवर विकास के तहत प्रशिक्षित किया गया है।
विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी, प्रखर और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से विद्या समीक्षा केन्द्र की स्थापना की है। इसके परिणामस्वरूप विद्यालय स्तर से लेकर महानिदेशालय स्तर तक अब निर्णय वास्तविक समय के आंकड़ों के आधार पर लिये जा रहे हैं। इससे प्रदेश की शिक्षण गुणवत्ता, उपस्थिति और संसाधनों के प्रबंधन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेशभर के 16,052 विद्यालय विद्या समीक्षा केन्द्र से जुड़े हैं। इनमें ऊधम सिंह नगर के 1,116, नैनीताल 1,345, हरिद्वार 936, देहरादून 1,242, पौड़ी 1,953, रुद्रप्रयाग 754, चमोली 1,314, बागेश्वर 757, अल्मोड़ा 1,658, चंपावत 673, उत्तरकाशी 1,025, पिथौरागढ़ 1,421 तथा टिहरी गढ़वाल में 1,858 विद्यालय शामिल हैं।
विद्या समीक्षा केन्द्र के माध्यम से इन विद्यालयों में छात्र प्रदर्शन, उपस्थिति और शिक्षक सहभागिता की रीयल टाइम निगरानी की जा रही है। प्रदेश के 95 प्रतिशत विद्यालयों में ‘मेरी उपस्थिति चैटबॉट’ के जरिये छात्र-शिक्षकों की उपस्थितियां डिजिटल रूप में दर्ज की जा रही हैं। इसके अतिरिक्त 6.5 लाख छात्रों को ‘पारख उत्तराखंड’ के माध्यम से उपचारात्मक सामग्री उपलब्ध कराई गई है।
अब तक 57 हजार से अधिक छात्रों का निपुण मूल्यांकन और 46,323 शिक्षकों का सतत् पेशेवर विकास (सीपीडी) प्रशिक्षण ‘ई-सृजन चैटबॉट’ के माध्यम से पूरा किया गया है, जिससे शिक्षकों की डिजिटल दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
डॉ. रावत ने बताया कि विद्या समीक्षा केन्द्र के तहत 6-ए फ्रेमवर्क विकसित किया गया है, जिसमें उपस्थिति, मूल्यांकन, अनुकूलनशील अधिगम, प्रमाणन, प्रशासन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित मॉड्यूल शामिल हैं। इससे विद्यालयों से डेटा संग्रहण की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी बन गई है।
उन्होंने कहा कि विद्या समीक्षा केन्द्र की मदद से अब निर्णय अधिक सटीक और प्रभावी हो रहे हैं। राज्य की शिक्षा प्रणाली को डिजिटल, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में यह केन्द्र एक मील का पत्थर साबित हो रहा है। आने वाले समय में इस परियोजना के माध्यम से शिक्षक प्रशिक्षण, छात्र अधिगम और नीतिगत निर्णय प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।