उत्तराखंडसामाजिक

ईशा फाउंडेशन ने मिट्टी बचाने का लिया संकल्प

देहरादून। मिट्टी बचाओ आंदोलन भी अनोखा और महत्वपूर्ण अभियान है जो पृथ्वी को विनाश से बचाने के लिए जरूरी है। प्राकृतिक को बचाए रखने के लिए सबसे महत्पूर्ण पहलू मिट्टी है। अगर हम मिट्टी की गुणवता को गिरने से नहीं रोकते है तो यह धरती इंसान के रहने याग्य नही रह जाएगी। मिट्टी को जिवीत रखने के उद्ेश्य को लेबर ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु के द्वारा वीरवार से मिट्टी बचाओ अभियान शुरूवात की गयी है। वीरवार को शांतिवहार स्थित हिमवंत फाउंडेशन  सोसाइटी के कार्यालय में आयाजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान फाउंडेशन के मीडिया समन्वयक  संगीता थपलियाल,  ईशा फाउंडेशन के सदस्य अर्चना रतूडी और ने जानकारी देते हुए बताया कि वीरवार से मिट्टी आंदोलन की शुरूवात की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि धर्मगुरु और पर्यावरणविद सदगुरू जग्गी वासुदेव ने लंदन से अपनी जर्नी टू सेव सॉइल मिट्टी बचाओ जागरूकता अभियान की शुरुआत की है। वह इसके तहत 100 दिनों की मोटरसाइकिल यात्रा पर निकले हैं। सदगुरू इस दौरान 26 देश और 30 हजार किलोमीटर की यात्रा करेंगे। उन्होंने बताया कि आज शुक्रवार को मिट्टी बचाने के उद्ेश्य को लेकर घंटाघर में प्रात 7 से 9 बजे तक नंगे पांव खडे होकर मिट्टी  बचाने का संकल्प लिया जायेगा उन्होंने आम जनमानस से इस आंदोलन में सहभागिता निभाने की अपील भी की है। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि मिट्टी बचाने के लिए सरकार इस ओर ध्यान देना चाहिए और शीघ्र अतिशीघ्र एक पॉलिसी तैयार करने की आवयकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी में किसी न किसी तरह की पोषण की कमी है। वैज्ञानिकों को संपन्न परिवारों के ऐसे लोगों का पता चल रहा है जो कुपोषण का शिकार हैं। जैविक तत्वों की पर्याप्त मात्रा नहीं है। अगर हम अपनी मिट्टी को स्वस्थ नहीं रखते, तो हमारे और आने वाली पीढिय़ों के स्वस्थ रहने का कोई तरीका नहीं है। मिट्टी को बचाने का यही समय है। मिट्टी को बचाने और एक स्वस्थ और टिकने योग्य धरती बनाने के लिए मेरे प्रयासों में मेरे साथ जुड़ें। संयुक्त रूप से आयेाजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने बताया कि मिट्टी बचाने के लिए आम जनमानस को जागरूक होना जरूरी है। मिट्टी के प्रति लोगों का संवेदनशील होना अति आवयक है जब तक लोग जागरूक नहीं हो पाएंगे तब तक मिट्टी का बचना सकार नहीं है।

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