
उत्तरकाशी : केदारनाथ यात्रा के इतिहास में पहली बार ऐसा कदम उठाया गया है, जिसमें यात्रा मार्ग पर बीमार होने वाले घोड़ा-खच्चरों को क्वारंटीन किया जाएगा। पशुपालन विभाग ने इसके लिए कालीमठ घाटी के कोटमा और केदारघाटी के फाटा में क्वारंटीन सेंटर स्थापित किए हैं। इन केंद्रों पर विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों की निगरानी में बीमार जानवरों का इलाज किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर अन्य स्थानों पर भी किराये पर व्यवस्था की जाएगी।
यह कदम उस वक्त उठाया गया है जब बीते माह बीरों, बष्टी, जलई, मनसूना और गौंडार गांवों में कई घोड़ा-खच्चर हॉर्स फ्लू (इक्वाइन इन्फ्लूएंजा) से संक्रमित पाए गए थे। गौंडार में तीन खच्चरों की मौत भी हो चुकी है। इसके चलते यात्रा के लिए घोड़ा-खच्चरों के पंजीकरण को अस्थायी रूप से रोक दिया गया था। अब संक्रमण की स्थिति सामान्य होने पर दोबारा पंजीकरण शिविर लगाए जा रहे हैं।
पंजीकरण शिविरों में लाए जा रहे जानवरों का खून का नमूना लेकर हॉर्स फ्लू और ग्लैंडर्स जैसी बीमारियों की जांच की जा रही है। केवल जांच में निगेटिव पाए जाने वाले जानवरों का ही पंजीकरण किया जा रहा है।
2 मई से शुरू हो रही केदारनाथ यात्रा के दौरान यदि कोई घोड़ा या खच्चर बीमार होता है, तो उसे तुरंत क्वारंटीन किया जाएगा, ताकि अन्य जानवर संक्रमण की चपेट में न आएं।
पशुपालन विभाग देहरादून के अपर निदेशक डॉ. भूपेंद्र जंगपांगी ने बताया कि कोटमा और फाटा में बनाए गए क्वारंटीन केंद्रों में एक-एक बार में 30 जानवरों को रखने की व्यवस्था की गई है। दोनों स्थानों के लिए विभाग की ओर से सात सदस्यीय विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम भी तैयार कर दी गई है।