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सीमा पर तनाव के बीच अमित शाह ने सीमावर्ती राज्यों के मुख्यमंत्रि, डीजीपी और मुख्य सचिवों के साथ की उच्चस्तरीय बैठक, रणनीतिक सुरक्षा पर चर्चा

नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और आतंकी गतिविधियों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार देर रात एक अहम बैठक बुलाई। इस उच्चस्तरीय बैठक में सीमावर्ती राज्यों के मुख्यमंत्री, डीजीपी, मुख्य सचिव, साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उपराज्यपाल शामिल हुए। बैठक का मुख्य उद्देश्य हालात की समीक्षा करना और आगे की सुरक्षा रणनीति तय करना था।

सूत्रों के अनुसार, यह बैठक भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों पर की गई एयरस्ट्राइक के बाद हुई। यह कार्रवाई पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत की गई थी, जिसमें भारतीय सेना ने सटीक हमलों से आतंकी ढांचों को तबाह किया।

बैठक में जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, सिक्किम और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री मौजूद थे। इसके अलावा लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपालों ने भी भाग लिया। गृह मंत्री अमित शाह ने सभी राज्यों से सीमा पर ताजा हालात की जानकारी ली और राज्य सरकारों के साथ तालमेल के महत्व पर जोर दिया।

गृह मंत्री ने क्या कहा?
सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह ने कहा कि मौजूदा हालात में हर राज्य को सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि “देश की एकता और संप्रभुता से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।” शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर एक संयुक्त रणनीति अपनानी होगी, ताकि किसी भी खतरे से समय रहते निपटा जा सके।

चौकसी बढ़ाने के निर्देश
बैठक के दौरान सभी सीमावर्ती राज्यों को सतर्कता बढ़ाने, खुफिया सूचनाओं को आपस में साझा करने और हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए। विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती और निगरानी ड्रोन की संख्या बढ़ाने पर भी चर्चा हुई।

नागरिकों को सतर्क रहने की अपील
बैठक के बाद गृह मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर नागरिकों से अफवाहों पर ध्यान न देने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना देने की अपील की। केंद्र ने यह भी आश्वासन दिया कि देश की सुरक्षा को लेकर सरकार पूरी तरह सजग है और हर जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।

सीमा पर स्थिति गंभीर बनी हुई है, लेकिन केंद्र सरकार सक्रिय रूप से हालात पर नजर बनाए हुए है। गृह मंत्री की यह बैठक न सिर्फ राजनीतिक समन्वय का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आतंक के खिलाफ भारत की नीति अब और ज्यादा निर्णायक और सख्त हो गई है।

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