‘आपातकाल में लोकतंत्र की हत्या हुई’ – कैबिनेट प्रस्ताव पास, पीएम और मंत्रियों ने रखा 2 मिनट का मौन

नई दिल्ली : आपातकाल की 50वीं बरसी के अवसर पर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया है। इस प्रस्ताव में 1975 में लगाए गए आपातकाल को ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की गई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि आपातकाल के दौरान और उससे पहले देश भर में लोकतांत्रिक मूल्यों का गंभीर हनन हुआ था।
कैबिनेट के प्रस्ताव में यह भी उल्लेख किया गया है कि आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीन लिया गया था और कई निर्दोष लोगों को भीषण अत्याचारों का सामना करना पड़ा था। प्रस्ताव में दावा किया गया है कि इस काले दौर में मौलिक अधिकारों के साथ-साथ मानवीय स्वतंत्रता और गरिमा को भी समाप्त कर दिया गया था। इस गंभीर अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी केंद्रीय मंत्रियों ने आपातकाल के पीड़ितों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके सम्मान में दो मिनट का मौन धारण किया। सभी मंत्री खड़े होकर इस मौन में शामिल हुए।
कैबिनेट की बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान में आपातकाल का विरोध करने वाले लोगों को ‘लोकतंत्र सेनानी’ की संज्ञा दी गई है। कैबिनेट ने वरिष्ठ नागरिकों के साथ-साथ देश के युवाओं से भी अपील की है कि वे इन लोकतंत्र सेनानियों के आदर्शों और संघर्षों से सीख लें। बयान में कहा गया है कि इन वीर योद्धाओं ने तानाशाही प्रवृत्तियों का डटकर मुकाबला किया और हमारे संविधान तथा लोकतांत्रिक भावना की दृढ़ता के साथ रक्षा की। सरकार ने इस बयान में यह भी रेखांकित किया है कि लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण, सुरक्षा और रक्षा का मूर्त रूप है और देश इन मूल्यों के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहेगा।