18 दिन के ऐतिहासिक मिशन के बाद शुभांशु शुक्ला आज करेंगे धरती पर वापसी

नई दिल्ली – भारत के गौरव और अंतरिक्ष क्षेत्र में नई उपलब्धि का प्रतीक बने भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला सोमवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से धरती पर वापसी के लिए रवाना हुए। एक्सिओम-4 मिशन के तहत 18 दिन की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा पूरी करने के बाद वे मंगलवार को भारतीय समयानुसार दोपहर 3:01 बजे कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में उतरेंगे।
वापसी की पूरी टाइमलाइन
सोमवार दोपहर 2:00 बजे: शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में सवार हुए
शाम 4:35 बजे : अंतरिक्ष स्टेशन से अनडॉकिंग की प्रक्रिया शुरू
मंगलवार दोपहर 3:01 बजे : कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में स्प्लैशडाउन
यह पूरी यात्रा 22.5 घंटे की होगी और पूर्णतः स्वचालित प्रक्रिया के माध्यम से संपन्न होगी।
तकनीकी प्रक्रिया
चरण 1: आईएसएस से अनडॉकिंग के बाद ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट अपने इंजन बर्न करके स्टेशन से सुरक्षित दूरी बनाएगा
चरण 2: पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश के दौरान तापमान 1,600 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचेगा
चरण 3: दो चरणों में पैराशूट सिस्टम सक्रिय होगा:
- पहले 5.7 किमी की ऊंचाई पर स्टेबलाइजिंग चूट्स
- फिर लगभग 2 किमी की ऊंचाई पर मेन पैराशूट
ऐतिहासिक महत्व
यह मिशन न केवल भारत के लिए बल्कि हंगरी और पोलैंड के लिए भी विशेष महत्व रखता है। इन तीनों देशों ने चार दशकों बाद फिर से अंतरिक्ष में अपनी भागीदारी दर्ज कराई है। शुभांशु शुक्ला का यह मिशन भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं और वैज्ञानिक प्रगति का प्रमाण है।
विदाई समारोह में शुक्ला के शब्द
रविवार को आयोजित विदाई समारोह में शुभांशु शुक्ला ने एक्सपीडिशन-73 मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों से कहा, “जल्दी ही धरती पर मुलाकात करते हैं।” उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यात्रा की शुरुआत में उन्हें इतना समृद्ध अनुभव होने की कल्पना नहीं थी।”यह यात्रा मेरे लिए अविस्मरणीय रही है। मैंने अंतरिक्ष से भारत की शक्ति और आत्मविश्वास की झलक देखी है,” शुक्ला ने अपने संदेश में कहा।
भारत की अंतरिक्ष यात्रा में नया अध्याय
एक्सिओम-4 मिशन के सफल समापन के साथ भारत अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल कर रहा है। यह मिशन भविष्य में और भी महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष परियोजनाओं के लिए आधार तैयार करता है।शुभांशु शुक्ला की सुरक्षित वापसी के साथ ही भारत का यह ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन अपने सफल समापन की ओर अग्रसर है।