चमोली में करंट लगने से हुई लोगों की मौत का जिम्मेदार आखिर कौन?
चमोली
उत्तराखंड के चमोली जिले के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में करंट दौड़ने से हुई लोगों की मौत का जिम्मेदार आखिर कौन है। बुद्धवार को प्लांट में करंट दौड़ने से 16 लोगों की मौत और 11 लोगों के घायल होने को लेकर देशभर से शोक संवेदनाएं व्यक्त की जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी की ओर से पीड़ितों के लिए अनुग्रह राशि की घोषणा की गई है तो वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी भी पीड़ित परिवारों से मिलकर हर सम्भव मदद का आश्वासन दे चुके हैं। एक ओर अचानक इतने बड़े स्तर पर करंट से हुए हादसे की चर्चाएं देशभर में गरमाती जा रही है तो वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड के जिम्मेदार विभाग एक दूसरे पर पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहे हैं। सीधे तौर पर यदि देखा जाए तो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट यानी कि एसटीपी का निर्माण पेयजल निगम द्वारा किया जाता है। लेकिन करंट की वजह से जब मामला ऊर्जा निगम से जुड़ा तो निगम अधिकारियों ने हादसे का कारण प्लांट की इंटरनल वायरिंग में दिक्कत होने को बताया। ऐसे में जब शक की सुइयां पेयजल निगम की ओर ही बढ़ी तो निगम के प्रबंध निदेशक ने उत्तराखंड की नौनी से बातचीत में कहा कि प्लांट का कार्य वर्ष 2019 में पूरा हो गया था। इसको सही तरीके से चलाने के बाद वर्ष 2021 में जल संस्थान को हैंडओवर कर दिया गया था। तबसे इसका रख रखाव जल संस्थान की ओर से ही किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार जब पैनल फुकने को हादसे की वजह मानने पर उत्तराखंड जल संस्थान की मुख्य महाप्रबंधक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामले की अभी जांच चल रही है। ऐसे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। कुल मिलाकर उत्तराखंड के चमोली जिले में इतना बड़ा हादसा हो जाता है और इसको लेकर जिस तरह से संबंधित विभागों के अधिकारी पल्ला झाड़ते दिख रहे हैं, उसके बाद जांच में कितना सहयोग मिल पाएगा, इस बारे में कुछ भी कह पाना मुश्किल होगा। ऐसे में उत्तराखंड की नौनी की यही अपील है कि विभाग सही से और समय पर अपना काम करें तो शायद ऐसे हादसों को टाला जा सके। यही नहीं यदि कार्य करने वाली एजेंसियों को भी सांठ-गांठ से परे हटकर काम दिया जाए तो ये भी एक बड़ी बात होगी और इस तरह से लोगों को अपनी जान नहीं गवानी पड़ेगी।
अब आखिरी में उत्तराखंड की नौनी की ओर से हादसे में अपनी जान गवाने वाले वाले सभी मृतकों को श्रधांजलि और सरकार से ये अपील कि सभी घायलों को उचित और समय पर उपचार देने के साथ ही उनके परिवार के भरण पोषण का भी जिम्मा तब तक तो आखिर उठाये, जब तक कि ये लोग स्वस्थ न हो जाएं।
ओम शांति,शांति,शांति