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देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने भू-क़ानून संशोधन प्रस्ताव को कैबिनेट की मंज़ूरी दे दी है। प्रदेश में सख्त भू-क़ानून की मांग लंबे समय से उठ रही थी, जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने महत्वपूर्ण संशोधनों को स्वीकृति दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह नया कानून प्रदेश के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा।
इसी सत्र में सदन में पेश होगा संशोधित भू-क़ानून
सरकार इस संशोधित कानून को इसी सत्र में विधानसभा में पेश करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की मूल पहचान को सुरक्षित रखने और बाहरी लोगों द्वारा भूमि खरीद की अंधाधुंध प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए यह कदम आवश्यक था।
प्रदेश को मिलेगा ठोस भू-क़ानून
मुख्यमंत्री धामी ने कहा,
“प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का पूरी तरह सम्मान करते हुए हमारी सरकार ने यह ऐतिहासिक फैसला लिया है। यह कानून राज्य के संसाधनों, संस्कृति और नागरिक अधिकारों की रक्षा करेगा।”
“राज्य, संस्कृति और मूल स्वरूप की रक्षक हमारी सरकार !”
प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का पूरी तरह सम्मान करते हुए आज कैबिनेट ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है। यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा… pic.twitter.com/FvANZxWiEB
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 19, 2025
क्या होगा इस भू-क़ानून में खास?
संशोधित भू-क़ानून में कुछ कड़े प्रावधान किए गए हैं, जिससे बाहरी लोगों द्वारा बिना रोकटोक भूमि खरीदने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाई जा सके। इसके तहत:
भूमि खरीद की सीमा तय की जाएगी
बाहरी निवेशकों के लिए कड़े नियम लागू होंगे
पहाड़ी क्षेत्रों में अवैध कब्जों पर कार्रवाई होगी
राज्य की संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता मिलेगी
जनता के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध सरकार
सीएम धामी ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार जनता के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और राज्य की सांस्कृतिक विरासत व मूल स्वरूप की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएगी।
जनभावनाओं की जीत
राज्यभर में लोग इस फैसले को जनभावनाओं की जीत बता रहे हैं। स्थानीय संगठनों और नागरिकों का मानना है कि इस कानून से उत्तराखंड की भूमि बाहरी प्रभाव से सुरक्षित रहेगी और प्रदेश के लोगों के हितों की रक्षा होगी।
सरकार अब इस संशोधित भू-क़ानून को सदन में पेश करने की तैयारी में है, जहां इसके पारित होने की पूरी संभावना है।