अनुभव के साथ आत्मविश्वास भी बढ़ता जाता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ही देखिए, दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं, मगर पहला कार्यकाल महज सात-आठ महीने का ही रहा। उस पर आखिरी दो महीने चुनाव आचार संहिता में गुजरे। अब धामी ने दूसरे कार्यकाल का एक वर्ष पूरा किया। अमूमन धामी सौम्य रहते हैं, अधिक आक्रामकता उनकी शैली नहीं। इसके उलट अपनी सरकार के एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में वह अचानक गरज पड़े।
धामी ने प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों को बरगलाने वालों को दो टूक चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि कई लोग ऐसे हैं, जो अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए नौजवानों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐेसे लोग अब बचने वाले नहीं हैं। दरअसल, उनके दूसरे कार्यकाल में भर्ती परीक्षाओं में पेपरलीक व नकल के एक के बाद एक प्रकरणों ने उनके समक्ष सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा की।
सरकार हाल में नए वित्तीय वर्ष के लिए आबकारी नीति लेकर आई। पड़ोसी राज्यों में शराब सस्ती है, इस कारण तस्करी से सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा था। तोड़ निकाला गया कि अपने राज्य में भी शराब सस्ती कर दो, पीने वाले पियेंगे ही, कम से कम तस्करी तो नहीं होगी। तय हुआ कि प्रति बोतल शराब सौ से तीन सौ रुपये तक सस्ती होगी।
यह भी पढे़ं- छात्र-छात्रों के खाते में जायेगी ड्रेस, बैग व जूते की धनराशि
दिलचस्प यह कि सरकार ने गोवंश संरक्षण, महिला कल्याण और खेलकूद के प्रोत्साहन को प्रत्येक के लिए एक रुपये के हिसाब से प्रति बोतल तीन रुपये सेस लगाने का भी निर्णय लिया। पहले तो शौकीन तर्क देते थे कि शराब खरीद राजस्व वृद्धि में योगदान दे रहे हैं। अब उनके पास और पुख्ता कारण भी हो गए हैं। भविष्य में कोई झूम-झूम कहता मिले कि महिला कल्याण योजनाओं, गोवंश संरक्षण और खेलों को प्रोत्साहन के लिए थोड़ी-थोड़ी पी है, तो चौंकिएगा नहीं।