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उत्तराखण्ड में सहकारी बैंकों का धमाल: पर्वतीय जिलों ने मारी बाज़ी, मैदानी क्षेत्र पीछे छूटे

देहरादून:  उत्तराखण्ड के सहकारिता क्षेत्र से एक सकारात्मक और प्रेरणादायक खबर सामने आई है। राज्य के पर्वतीय जिलों में कार्यरत जिला सहकारी बैंकों ने हालिया वित्तीय वर्ष में जबरदस्त मुनाफा कमाया है, जबकि मैदानी क्षेत्रों के बैंक पीछे छूटते नजर आए हैं।

सहकारिता विभाग के अधीन 11 जिला सहकारी बैंकों ने मिलकर कुल 250 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया है। इनमें टिहरी गढ़वाल जिला सहकारी बैंक सबसे आगे रहा, जिसने 3168.26 लाख रुपये का शुद्ध लाभ कमाया। वहीं हरिद्वार जिला सहकारी बैंक केवल 795.25 लाख रुपये के लाभ पर सिमट गया।

पर्वतीय बैंकों की सफलता के सूत्रधार
टिहरी गढ़वाल सहकारी बैंक की इस शानदार उपलब्धि का श्रेय पूर्व चेयरमैन सुभाष रमोला के नेतृत्व को दिया जा रहा है। उनके कार्यकाल में किसानों को सरल शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराया गया, जिससे न केवल स्थानीय कृषि व्यवस्था को बल मिला, बल्कि बैंक की वसूली दर में भी सुधार आया।

सहकारिता मंत्री की भूमिका
सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की दूरदर्शी नीतियों को भी पर्वतीय क्षेत्रों में सहकारी बैंकों की सफलता का आधार माना जा रहा है। डॉ. रावत ने बताया कि वर्ष 2017 में जब उन्होंने विभाग की जिम्मेदारी संभाली थी, तब कई बैंक घाटे में चल रहे थे। लेकिन सुधारात्मक कदमों और योजनाओं के चलते अब 280 शाखाएं लाभ कमा रही हैं, जबकि केवल 49 शाखाएं घाटे में हैं।

जिला अनुसार लाभ के आंकड़े (लाख रुपये में)

टिहरी: 3168.26

राज्य सहकारी बैंक: 3149.00

चमोली: 3003.93

कोटद्वार: 2973.02

उत्तरकाशी: 2476.20

यूएस नगर: 2057.72

देहरादून: 1976.30

अल्मोड़ा: 1699.01

नैनीताल: 1600.00

पिथौरागढ़: 2165.50

हरिद्वार: 795.25

डॉ. रावत ने कहा कि शेष घाटे वाली शाखाओं को लाभकारी बनाने के लिए एक विशेष कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इसके तहत शाखा प्रबंधन में सुधार, वित्तीय सेवाओं का विस्तार और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान शामिल हैं।उत्तराखण्ड के सहकारी बैंकों की यह उपलब्धि न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा दे रही है, बल्कि यह भी दर्शा रही है कि कठिन परिस्थितियों में भी सही नेतृत्व और योजनाबद्ध प्रयासों से सफलता संभव है। पर्वतीय जिलों की यह प्रगति समूचे देश के लिए एक उदाहरण बन सकती है।

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