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सीएम धामी मंत्रिमंडल ने प्रदेश में बढ़ते ऊर्जा संकट के बीच हरित ऊर्जा को प्रोत्साहित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम नीति के अंतर्गत सम्मिलित करने पर मंत्रिमंडल ने मुहर लगा दी। इससे लाभार्थियों को 15 से 25 प्रतिशत के स्थान पर 40 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा। 25 किलोवाट से अधिक 200 किलोवाट तक परियोजना संयंत्र स्थापित किए जा सकेंगे।
योजना को अधिक आकर्षक बनाए जाने से बड़ी संख्या में युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर खुलेंगे। अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में मंत्रिमंडल ने प्रदेश की 582 मलिन बस्तियों में अवस्थापना सुविधाओं के लिए धन की व्यवस्था की है। जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों को विकास शुल्क से होने वाली आय का 10 प्रतिशत भाग अब मलिन बस्तियों के विकास और पुनर्वास के लिए नगर निकायों को देना होगा।
मंत्रिमंडल की गुरुवार को सचिवालय में हुई बैठक में लगभग 30 बिंदुओं पर निर्णय लिए गए। विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी होने के कारण मंत्रिमंडल के निर्णयों को ब्रीफ नहीं किया गया।
सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की गाइड लाइन में संशोधन कर इसे वित्तीय रूप से अधिक व्यवहारिक बनाया है। एमएसएमई नीति-2015 के अंतर्गत लेने के कारण अब इस योजना में 20 से 25 किलोवाट के संयंत्र के स्थान पर 50 किलोवाट, 100 किलोवाट एवं 200 किलोवाट के सौर संयंत्र स्थापित करने को अनुमति दी गई है।
संयंत्र लागत की दरों में वृद्धि को देखते हुए अब इसे प्रति किलोवाट 40 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया है। कैबिनेट ने राज्य की मलिन बस्तियों के पुनर्वास और विकास को मानचित्र शुल्क का 10 प्रतिशत नगर निकायों को देने पर मुहर लगाई है। राज्य में वर्तमान पेराई सत्र को गन्ना मूल्य यथावत रहेगा।
कैबिनेट ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के क्रम में समूह ग के पदों पर साक्षात्कार की प्रक्रिया को समाप्त करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि समूह ग के किसी भी पद पर अब साक्षात्कार नहीं होगा। साथ ही पीसीएस परीक्षा समेत समूह क व ख की परीक्षाओं में साक्षात्कार के न्यूनतम व अधिकतम मानक तय किए गए हैं।
प्रदेश में समूह ग के पदों पर साक्षात्कार प्रक्रिया पहले ही समाप्त हो चुकी है। उत्तराखंड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से परीक्षाएं उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग को स्थानांतरित करने के बाद आयोग ने यह प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी थी, जिस पर अब पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
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इसके साथ ही समूह क व ख की परीक्षाओं में साक्षात्कार के अधिकतम अंक 70 प्रतिशत और न्यूनतम अंक 40 प्रतिशत तय किए गए हैं। इससे अधिक अथवा कम अंक देने पर आयोग को सुस्पष्ट व पूर्ण स्पष्टीकरण उपलब्ध कराना होगा। उद्देश्य इन परीक्षाओं में पारदर्शिता लाना और पक्षपात की आशंका को कम करना है।