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बदलापुर मामले में स्कूल प्रबंधन पर एफआईआर, दोनों पीड़ितों और उनके माता-पिता के बयान भी दर्ज

महाराष्ट्र के बदलापुर में नाबालिगों के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में स्कूल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बताया कि पॉक्सो अधिनियम की धारा 19 के प्रावधानों का पालन न करने के लिए यह एफआईआर दर्ज की गई है। प्राथमिकी में कहा गया है कि जब भी किसी अधिकारी को नाबालिगों के खिलाफ इस तरह के यौन उत्पीड़न के बारे में पता चलता है तो उसे आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस अधिकारियों को इसकी सूचना देना अनिवार्य है। मामले में दोनों पीड़ितों और उनके माता-पिता के बयान भी दर्ज किए गए हैं।

हाईकोर्ट ने लगाई थी फटकार

इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले में स्वतः संज्ञान लिया था। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि अब चार साल की मासूम बच्चियां भी सुरक्षित नहीं हैं। उन्हें भी नहीं बख्शा जा रहा। यह कैसे हालात हैं। अगर स्कूल ही सुरक्षित नहीं हैं तो शिक्षा के अधिकार और बाकी चीजों का क्या मतलब। हाईकोर्ट ने मामले की जानकारी छिपाने के आरोप में स्कूल प्रशासन के खिलाफ पॉक्सो के तहत केस दर्ज करने को कहा था। कोर्ट ने सरकार से केस डायरी और प्राथमिकी की कॉपी भी मांगी थी। मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी।

कैसे हुआ खुलासा?

दरअसल, 14 अगस्त को एक बच्ची ने स्कूल से घर लौटने के बाद अपने माता-पिता से गुप्तांगों में दर्द की शिकायत की। बच्ची लगातार अपने माता-पिता से शिकायत करती रही तो माता-पिता को शक हुआ। उन्होंने लड़की से पूछताछ की तो घटना का पूरा सच पता चला। जब वह टॉयलेट गई तो पता चला कि अक्षय शिंदे नाम के 23 वर्षीय सफाईकर्मी ने उसके प्राइवेट पार्ट को छुआ था।

चिंतित माता-पिता ने उसी कक्षा की एक अन्य लड़की के माता-पिता से संपर्क किया तो उन्होंने भी कहा कि उनकी बेटी कुछ दिनों से स्कूल जाने से डर रही है। दोनों बच्चियों की हालत संदिग्ध होने पर माता-पिता ने तुरंत स्थानीय डॉक्टर से जांच कराया। उसमें बाद पता चला कि आरोपी ने बच्चियों के साथ बदसलूकी की थी।

हस्तक्षेप के बाद मामला दर्ज किया गया

इसके बाद दोनों के परिजन ने 16-17 अगस्त की आधी रात करीब 12:30 बजे स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने गए। हालांकि, अभिभावकों का आरोप है कि तत्कालीन थाना प्रभारी शुभदा शितोले ने उनकी शिकायत दर्ज करने के बजाय उन्हें कुछ घंटों तक बैठाए रखा और कहा कि वे सभी घटनाओं की जांच कर रहे हैं। इस बीच, जिला महिला एवं बाल कल्याण अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने 17 अगस्त की सुबह पॉक्सो के तहत मामला दर्ज किया और सरकारी अस्पताल में लड़कियों की मेडिकल जांच कराई। कुछ ही देर में आरोपी की गिरफ्तारी कर ली गई।

 

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