
नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत में आज से एक अहम कानूनी लड़ाई की शुरुआत हो रही है। संसद के दोनों सदनों से पारित होकर कानून बन चुके इस अधिनियम को चुनौती देने वाली करीब 73 याचिकाओं पर आज से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होगी। इन याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ करेगी।
इस मामले में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), जमीयत उलेमा-ए-हिंद, DMK, और कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी सहित कई संगठनों और व्यक्तियों ने याचिकाएं दायर की हैं। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह संशोधन मुसलमानों के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों का हनन करता है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है।
अब तक सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 10 याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है, और बाकी याचिकाओं को भी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा। 7 अप्रैल को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जो जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश हुए थे, ने याचिकाओं को प्राथमिकता से सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था, जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने सहमति दी थी। इस मामले को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट (Caveat) दाखिल की है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अदालत कोई भी अंतरिम आदेश पारित करने से पहले केंद्र की बात अवश्य सुने। यह विधिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिससे अदालत को बिना सुनवाई के कोई निर्णय देने से रोका जाता है।
AIMPLB का ‘वक्फ बचाओ अभियान’:
वहीं, वक्फ कानून के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ‘वक्फ बचाओ अभियान’ की शुरुआत की है, जो 87 दिनों तक चलाया जाएगा। यह अभियान 11 अप्रैल से शुरू होकर 7 जुलाई तक चलेगा। इस अभियान के तहत एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर जुटाकर वक्फ कानून के विरोध को व्यापक स्तर पर उठाने की योजना बनाई गई है।वक्फ अधिनियम 2025 को लेकर देश में राजनीतिक और कानूनी दोनों ही मोर्चों पर हलचल तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट की यह सुनवाई आने वाले समय में इस संवेदनशील और व्यापक प्रभाव वाले कानून की वैधता पर एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है।