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इंडोनेशिया ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की, राष्ट्रपति प्रबावो ने कहा – “हमारा इस्लाम ऐसी शिक्षा नहीं देता”

नई दिल्ली/जकार्ता:  जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले ने न केवल भारत को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी कड़ी निंदा की जा रही है। इस हमले पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबावो सुबियांतो का सख्त और संवेदनशील बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया और साफ शब्दों में कहा, “हमारा इस्लाम ऐसी हिंसा और आतंक की शिक्षा नहीं देता।”

राष्ट्रपति सुबियांतो ने जकार्ता में भारत के राजदूत संदीप चक्रवर्ती से मुलाकात की और पहलगाम हमले पर गहरा दुख प्रकट किया। उन्होंने दो टूक कहा, “किसी भी प्रकार के आतंकवाद से कोई समाधान नहीं निकल सकता। हथियारों के बजाय बातचीत और शांति का मार्ग अपनाना चाहिए।”

इंडोनेशियाई राष्ट्रपति ने भारत के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा कि इंडोनेशिया आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़ा है। उन्होंने इस्लाम के नाम पर आतंक फैलाने वालों की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि इंडोनेशिया में जिस इस्लाम का पालन होता है, वह करुणा, शांति और सह-अस्तित्व की बात करता है, न कि हिंसा की।

भारतीय राजदूत संदीप चक्रवर्ती ने भी पुष्टि की कि इंडोनेशिया में दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी होने के बावजूद यहां कट्टरपंथ और आतंक के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ने न केवल हमले पर चिंता जताई बल्कि मृतकों को श्रद्धांजलि भी दी।

क्या हुआ पहलगाम में?

मंगलवार दोपहर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम शहर के नजदीक ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहे जाने वाले लोकप्रिय पर्यटन स्थल पर आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की। इस हमले में अब तक 26 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। मृतकों में दो विदेशी नागरिक और दो स्थानीय लोग भी शामिल हैं।

गौरतलब है कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के छद्म संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। आतंकियों ने पर्यटन स्थल पर घूम रहे लोगों को निशाना बनाया, जिसमें खच्चर की सवारी कर रहे, भोजनालयों में बैठे और पिकनिक मना रहे पर्यटक शामिल थे।

भारत की कड़ी प्रतिक्रिया, लिए गए पांच अहम फैसले

हमले के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की आपात बैठक बुलाई गई। बैठक में पाकिस्तान को लेकर कई कड़े फैसले लिए गए:

1. सिंधु जल संधि (1960) पर पुनर्विचार करते हुए उस पर रोक लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई।

2. अटारी में स्थित एकीकृत जांच चौकी को तत्काल प्रभाव से बंद किया गया।

3. दक्षेस वीज़ा छूट योजना (SVES) के तहत पाकिस्तानी नागरिकों के भारत आने पर रोक लगा दी गई।

4. अतीत में पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए SVES वीज़ा रद्द माने जाएंगे।

5. सीमा पार आतंकी ढांचों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाने की रणनीति तेज की गई है।

यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे घातक माना जा रहा है और इसकी आंच अब दक्षिण एशिया के राजनयिक संबंधों तक पहुंच चुकी है। इंडोनेशिया जैसे बड़े मुस्लिम बहुल देश का यह रुख भारत के लिए एक कूटनीतिक समर्थन के रूप में देखा जा रहा है।

भारत में हुए इस नृशंस आतंकी हमले के खिलाफ वैश्विक समर्थन लगातार मजबूत हो रहा है। इंडोनेशिया जैसे देशों की स्पष्ट और साहसी प्रतिक्रिया न केवल आतंक के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाती है कि इस्लाम के नाम पर हिंसा फैलाने वालों को अब किसी भी मंच पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।

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