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Waqf Bill पास: वक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा में भी पारित, PM मोदी बोले- “ऐतिहासिक क्षण”

Waqf Bill पास: वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2025 को शुक्रवार तड़के राज्यसभा ने पारित कर दिया। इस दौरान सदन में विधेयकों के पक्ष में 128 वोट पड़े जबकि 93 मत विरोध में रहे। देर रात तक चली बहस के बाद बीजू जनता दल (BJD) के रुख में बदलाव से सरकार को यह विधेयक आसानी से पारित कराने में सफलता मिली।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “ऐतिहासिक क्षण” बताते हुए कहा कि इससे वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता सुनिश्चित होगी।

13 घंटे चली बहस, विपक्ष के संशोधन खारिज

विधेयकों पर राज्यसभा में करीब 13 घंटे तक गहन चर्चा हुई। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने देर रात 1:15 बजे बहस का संक्षिप्त जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय के व्यापक हित में लाया गया है।

उन्होंने कहा, “वक्फ संपत्तियों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं होगा और जिन संपत्तियों के दस्तावेज़ हैं, उनमें कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।”

रिजिजू ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर मुस्लिम समुदाय आज गरीब है, तो यह सोचने की बात है कि इसके लिए ज़िम्मेदार कौन है। उन्होंने इशारा किया कि आजादी के बाद सबसे लंबा शासन कांग्रेस का रहा है।

वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य क्यों?

मंत्री ने स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड एक वैधानिक संस्था है, जिसे धर्मनिरपेक्ष आधार पर कार्य करना चाहिए। इसलिए इसमें गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी नामित किया जाएगा, लेकिन प्रबंधन का अधिकार मुस्लिम समुदाय के पास ही रहेगा।

उन्होंने कहा कि देशभर से शिष्टमंडलों ने वक्फ बोर्डों में एकाधिकार समाप्त करने की मांग की थी, जिसे ध्यान में रखते हुए विधेयक में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान जोड़ा गया है।

विपक्ष के संशोधन खारिज

विधेयक पर कांग्रेस के नासिर हुसैन, माकपा के ए ए रहीम, जॉन ब्रिटास, भाकपा के वी शिवादासन, राजद के मनोज झा, एनसीपी (शरद पवार) की फौजिया खान, द्रमुक के तिरुचि शिवा, कनिमोझी, आईयूएमएल के अब्दुल वहाब समेत कई नेताओं ने संशोधन प्रस्ताव दिए, जिन्हें सभी खारिज कर दिया गया।

अगला कदम: राष्ट्रपति की मंजूरी

इससे पहले यह विधेयक लोकसभा में गुरुवार देर रात पारित किया गया था। अब इसे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। उनके अनुमोदन के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा।

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