उत्तराखंड में भण्डारगृहों की क्षमता 1.30 लाख मैट्रिक टन के पार, आत्मनिर्भर बना राज्य भण्डार निगम

देहरादून: उत्तराखंड राज्य भण्डार निगम ने अपने भण्डारण ढांचे को सशक्त करते हुए प्रदेशभर में भण्डारगृहों की क्षमता को 1.30 लाख मैट्रिक टन से अधिक पहुंचा दिया है। इस उपलब्धि से निगम न केवल आत्मनिर्भर बना है, बल्कि किसानों और काश्तकारों को भी इसका प्रत्यक्ष लाभ मिल रहा है। सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के नेतृत्व में निगम ने बीते वर्षों में भण्डारण क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि की है। वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न जिलों में कुल 1,31,550 मैट्रिक टन क्षमता के भण्डारगृह संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें रुद्रपुर, गदरपुर, किच्छा, हल्द्वानी, अल्मोड़ा, हरिद्वार, विकासनगर और नकरौंदा जैसे प्रमुख केंद्र शामिल हैं। इसके अतिरिक्त किराये पर संचालित भण्डारगृहों की व्यवस्था भी की गई है।
भविष्य की जरूरतों को देखते हुए सरकार ने पांच नए आधुनिक भण्डारगृहों के निर्माण की स्वीकृति दी है, जिनकी कुल क्षमता 40,000 मैट्रिक टन होगी। इनमें ऋषिकेश, हरिद्वार, कोटद्वार, टिहरी और कुमाऊं संभाग (रुद्रपुर-काशीपुर क्षेत्र) में गोदाम बनाए जाएंगे। इससे खाद्यान्न और उर्वरकों के बड़े पैमाने पर भण्डारण की सुविधा मिलेगी और निगम की आय में भी बढ़ोतरी होगी। इसके अतिरिक्त निगम द्वारा कीटपरिनाशक सेवा योजना, धर्मकांटे और अन्य सहायक सेवाओं के माध्यम से भी आय अर्जित की जा रही है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार निगम विगत कुछ वर्षों से लाभ की स्थिति में है और आगामी वर्षों में भण्डारण क्षमता तथा सेवाओं के विस्तार के साथ यह लाभ और बढ़ेगा।
सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य भण्डार निगम ने भण्डारण क्षमता में निरंतर वृद्धि कर आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। जल्द ही पांच नए गोदामों के निर्माण से भण्डारण क्षमता और बढ़ेगी, जिससे राज्य की सहकारिता प्रणाली और अधिक सशक्त बनेगी।