उत्तराखंड

वर्ष 2024 के प्रो बी एन सिंह स्मृति सम्मान के लिए लीलाधर जगूडी़ और शैल देवी स्मृति सम्मान के लिए शहंशाह आलम का चयन किया गया है

 

कविकुंभ की चयन समिति ने ये निर्णय आपसी सहमति के आधार पर लिया है ।ये सम्मान कविकुंभ के वार्षिकोत्सव में दिए जायेंगे ।

वर्ष 2022 में इस सम्मान की घोषणा हुई थी और वर्ष 2023 से इसे विधिवत दिया जा रहा हैं ।वर्ष 2023 में प्रो बी एन सिंह स्मृति सम्मान नासिरा शर्मा और#शैल देवी स्मृति सम्मान#जगदीश नलिन जी को दिया गया था ।

प्रो बी एन सिंह स्मृति सम्मान राष्ट्रीय स्तर पर किसी एक कवि को दिया जाता है ,जबकि शैल देवी स्मृति सम्मान बिहार मूल के किसी ऐसे कवि को दिया जाता है जिसने कविता के साथ-साथ साहित्यिक सरोकार में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई हो ।

इस वर्ष के दोनों चयनित कवियों को हार्दिक शुभकामनाएं।

 

लीलाधर जगूड़ी

संक्षिप्त परिचय

जन्म : 1 जुलाई, 1940; धंगण गाँव (सेम मुखेम), टिहरी (उत्तराखंड)।

राजस्थान और उत्तर प्रदेश के अलावा अनेक प्रान्तों और शहरों में कई प्रकार की जीविकाएँ करते हुए शालाग्रस्त शिक्षा के अनियमित क्रम के बाद हिन्दी साहित्य में एम.ए.।

फ़ौज (गढ़वाल राइफ़ल) में सिपाही रहे। सरकारी जूनियर हाईस्कूल में शिक्षक की नौकरी की। बाद में पब्लिक सर्विस कमीशन, उत्तर प्रदेश से चयनोपरान्त उत्तर प्रदेश की सूचना सेवा में उच्च अधिकारी हुए। सेवानिवृत्ति के बाद नए राज्य उत्तराखंड में सूचना सलाहकार, उत्तरांचल दर्शन के प्रथम सम्पादक तथा उत्तराखंड के संस्कृति, साहित्य एवं कला परिषद के प्रथम उपाध्यक्ष रहे।

 

प्रकाशित कृतियाँ : शंखमुखी शिखरों पर, नाटक जारी है,

 

इस यात्रा में, रात अब भी मौजूद है, बची हुई पृथ्वी, घबराए हुए शब्द, भय भी शक्ति देता है, अनुभव के आकाश में चाँद, महाकाव्य के बिना, ईश्वर की अध्यक्षता में, ख़बर का मुँह विज्ञापन से ढका है, जितने लोग उतने प्रेम (कविता-संग्रह); मेरे साक्षात्कार, प्रश्न व्यूह में प्रज्ञा (साक्षात्कार)।

प्रौढ़ शिक्षा के लिए हमारे आखरतथा कहानी के आखरका लेखन। उत्तर प्रदेश मासिक और राजस्थान के शिक्षक- कवियों के कविता-संग्रह लगभग जीवन का सम्पादन। अनेक देशी और विदेशी भाषाओं में कविताओं के अनुवाद।

सम्मान : व्यास सम्मान; साहित्य अकादेमी पुरस्कार; पद्मश्री सम्मान; रघुवीर सहाय सम्मान; भारतीय भाषा परिषद, कलकत्ता का सम्मान; उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का नामित पुरस्कार; साहित्य अकादेमी की फेलोशिप प्वेट एट रेजिडेन्स के अन्तर्गत वर्तमान संग्रह का संयोजन।

 

● शहंशाह आलम

● जन्म : 15 जुलाई, 1966, मुंगेर, बिहार

● शिक्षा : एम. ए. (हिन्दी), विद्यावाचस्पति (मानद)

● प्रकाशन : ‘गर दादी की कोई ख़बर आए’, ‘अभी शेष है पृथ्वी-राग’, ‘अच्छे दिनों में ऊँटनियों का कोरस’, ‘वितान’, ‘इस समय की पटकथा’, ‘थिरक रहा देह का पानी’, ‘आग मुझमें कहाँ नहीं पाई जाती’, ‘ख़ानाबदोशी’, ‘मेरी बाँसुरी मेरी भाषा है’, ‘कल का मौसम बढ़िया होगा’ कविता-संग्रह छपे हैं। न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन की ख़ास प्रस्तुति ‘समकाल की आवाज़’ सीरिज़ में चयनित कविताओं का प्रकाशन। ‘कवि का आलोचक’, ‘कविता की प्रार्थनासभा’, ‘कविता का धागा’ तथा ‘शब्द के रफ़ूगर’ आलोचना की किताबें प्रकाशित। ‘आकाश की सीढ़ी है बारिश’ बारिश विषयक कविताओं का संपादन। ‘बारिश की भाषा’ साझा कविता-संकलन का अतिथि संपादन। ‘गर दादी की कोई ख़बर आए’ कविता-संग्रह बिहार सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा पुरस्कृत। ‘स्वर-एकादश’ कविता-संकलन में कविताएँ संकलित। ‘वितान’ (कविता-संग्रह) पर पंजाबी विश्वविद्यालय की छात्रा जसलीन कौर द्वारा शोध-कार्य। दूरदर्शन और आकाशवाणी से कविताओं का नियमित प्रसारण। हिन्दी की सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित। बातचीत, आलेख, अनुवाद, लघुकथा, चित्रांकन, समीक्षा भी प्रकाशित। पटना दूरदर्शन के लिए आलोचक खगेंद्र ठाकुर, उपन्यासकार अब्दुस्समद, कथाकार शौकत हयात, साहित्यकार उद्भ्रांत, कवि प्रभात सरसिज, कवि मुकेश प्रत्यूष, कवि विमलेश त्रिपाठी आदि से बातचीत। प्रजातंत्र टीवी के लिए वरिष्ठ साहित्यकार जाबिर हुसेन के रचनाकर्म पर कवि राजकिशोर राजन, कथाकार रणेंद्र, साहित्यकार श्रीराम तिवारी, साहित्यकार शिवनारायण, वरिष्ठ कवि प्रभाव सरसिज, कवि और समाजसेवी विनीत तिवारी, शायर नीलांशु रंजन आदि से बातचीत। पटना पुस्तक मेला में कवि और विचारक बद्रीनारायण से बातचीत।

● पुरस्कार/सम्मान : बिहार सरकार का राजभाषा विभाग, राष्ट्रभाषा परिषद पुरस्कार के अतिरिक्त ‘नई धारा रचना सम्मान’, ‘कवि कन्हैया स्मृति सम्मान’, ‘सव्यसाची सम्मान’, सहस्राब्दी हिंदी सेवी सम्मान, ‘हिंदी सेवी सम्मान’, ‘कोलकाता हिंदी मेला सम्मान’, प्रेमनाथ खन्ना सम्मान सहित दर्जन भर से अधिक महत्वपूर्ण पुरस्कार/सम्मान मिले हैं।

● संप्रति, बिहार विधान परिषद् के प्रकाशन विभाग में कार्यरत।

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