देहरादून।
सुप्रसिद्ध साहित्यकार तथा भारत के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के साहित्य पर ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन आश्रम में एक अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन दिनांकः 01 एवं 02 मई को किया जायेगा । साहित्य की इस संगोष्ठी में देश व विदेशों के 500 से अधिक विद्वान साहित्यकार, शिक्षाविद एवं हिन्दी प्रेमीजन प्रतिभाग करेंगे। साहित्य के इस महाकुंभ में डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशक’ के साहित्य पर मनन एवं मथन होगा।
यह जानकारी देते हुए एक प्रेसवार्ता में रविवारीय पुस्तक वार्ता वेबिनार के संरक्षक प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. योगेन्द्रनाथ शर्मा ‘अरूण ने बताया कि ‘हिमालय विरासत न्यास’ उत्तराखण्ड द्वारा गत वर्ष दिनांक 16 फरवरी 2021 से “रविवारीय पुस्तक वार्ताः डॉ. निशंक का रचना संसार” नाम से निर्बाध रूप से ऑनलाइन वेबिनार प्रत्येक रविवार को शायः 4 से 5 बजे आयोजित किया जाता रहा है।
“एक ही साहित्यकार के साहित्य पर सबसे लम्बी वेबिनार चर्चा” के लिए डॉ. निशंक का नाम 50 श्रृंखलाएँ पूर्ण होने पर ‘वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड’ तथा 75 श्रृंखलाएँ पूर्ण होने पर ‘हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दर्ज हो चुका है। आगामी 30 अप्रैल को यह वेबिनार अपनी 108 श्रृंखलाएं पूर्ण करने जा रहा है। इस उपलक्ष्य में दिनांक 01 एवं 02 मई को दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन देवभूमि उत्तराखंड की योग एवं अध्यात्म नगरी ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन आश्रम में कियाजा रहा है। विश्व के लगभग 1 दर्जन देशों के प्रसिद्ध साहित्यकारों के साथ ही भारत के लगभग सभी राज्यों के 500 से अधिक साहित्यकार, शिक्षाविद और हिंदी प्रेमीजन इस संगोष्ठी में भाग ले रहे हैं।
उदघाटन सत्र में प्रदेश के महामहिम राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह संगोष्ठी का शुभारंभ करेंगे। महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ल कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे, नीदरलैण्ड से साहित्यकार अश्वनी के गांवकर, लंदन से साहित्यकार डॉ. रशिम खुराना, वीरबहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निर्मला मौर्य कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि रहेंगे।
जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी एवं परमार्थ निकेतन आश्रम के परामध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि महाराज का सानिध्य एवं आर्शीवचन प्रतिभागियों को प्राप्त होगा । प्रेसवार्ता में हिमालय विरासत न्यास की अध्यक्ष, आश्ना नेगी, डॉ. सुप्रिया रतूड़ी, बालकृष्ण चमोली, सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे।