
देहरादून: राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत और लोक परंपराओं को जीवंत करता ‘निनाद महोत्सव’ शनिवार को गरही कैंट स्थित हिमालय संस्कृति केंद्र में रंगारंग तरीके से प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ संस्कृति सचिव एवं महानिदेशक युगल किशोर पंत सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यक्रम की शुरुआत पिथौरागढ़ के प्रसिद्ध छोलिया दल की शानदार प्रस्तुति से हुई, जिसने पूरे माहौल को उत्तराखंडी रंग में रंग दिया। इसके बाद संगम संस्कृति मंच, देहरादून के कलाकारों ने चौमासा लोकनृत्य, थड़्या, चौफला, झुमैला और तांदी जैसे पारंपरिक नृत्यों की मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का उत्साह बढ़ाया।
दोपहर के सत्र में भारतखंड संगीत महाविद्यालय, पौड़ी के कलाकारों ने शास्त्रीय प्रस्तुतियां दीं, जिन्होंने दर्शकों का मन मोह लिया। बाल कलाकार दिव्यांशु रावत और अंश जोशी ने तबले पर उत्कृष्ट प्रस्तुति दी, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
महोत्सव के साथ शुरू हुई तीन दिवसीय थिएटर कार्यशाला में प्रतिभागियों को अभिनय और नाट्यकला के गुर सिखाए जा रहे हैं। कार्यशाला में वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. हरीश बख्श प्रतिभागियों को अभिनय तकनीक और रंगमंच के विभिन्न आयामों की जानकारी दे रहे हैं।
संस्कृति सचिव युगल किशोर पंत ने प्रतिभागियों से संवाद करते हुए कहा कि रंगकर्म केवल कला नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक अनुशासन है, जो व्यक्ति में संवेदनशीलता और सृजनशीलता को विकसित करता है।
कार्यक्रम परिसर में लगे हिमालयी उत्पादों के स्टॉल भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। कृषि, उद्यान, पशुपालन, खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड के साथ-साथ स्वयं सहायता समूहों और स्थानीय उद्योगों के स्टॉलों पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ी रही। उत्तराखंडी व्यंजन, हस्तशिल्प और पारंपरिक उत्पादों को लोगों ने खूब सराहा।