शीतकाल में बर्फबारी कम होने से बिजली उत्पादन को झटका
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ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड में विद्युत उत्पादन निम्नतम स्तर पर है। शीतकाल में बर्फबारी कम होने का असर जल विद्युत गृहों पर दिख रहा है। गर्मी बढ़ने के बावजूद नदियों का जलस्तर नहीं बढ़ रहा है। जिससे क्षमता से एक चौथाई उत्पादन कम हो रहा है। जबकि प्रदेश में विद्युत खपत लगातार बढ़ रही है। आने वाले दिनों में आम उपभोक्ताओं को बिजली कटौती की मार झेलनी पड़ सकती है।
आमतौर पर मार्च शुरू होने के साथ ही नदियों का जलस्तर बढ़ने लगता है। गर्मी बढ़ने से ग्लेशियर समेत पहाड़ों पर पड़ी बर्फ तेजी से पिघलने लगती है और नदियों में प्रवाह बढ़ जाता है। इससे जल विद्युत गृहों में उत्पादन बढ़ता है और विद्युत उपलब्धता सामान्य हो जाती है। लेकिन इस बार शीतकाल में नाम मात्र की वर्षा व बर्फबारी हुई। जिससे नदियों का जलस्तर सामान्य से कम बना हुआ है।
यही वजह है कि जलविद्युत गृह अपनी क्षमता से काफी कम विद्युत उत्पादन कर पा रहे हैं। यही आलम रहा तो आने वाले दिनों में प्रदेश की विद्युत निर्भरता केंद्र सरकार से प्राप्त बिजली और बाजार की खरीद पर बढ़ सकता है। साथ ही पर्याप्त बिजली उपलब्ध न होने की दशा में उपभोक्ताओं को कटौती की मार झेलनी पड़ सकती है। गर्मी चरम पर होने की स्थिति में प्रदेश भीषण बिजली संकट से जूझ सकता है।
- विद्युत गृह, पांच मार्च 2023, पांच मार्च 2022
- छिबरो, 0.95, 1.53
- खोदरी, 0.50, 0.79
- ढकरानी, 0.17, 0.25
- ढालीपुर, 0.30, 0.48
- कुल्हाल, 0.18, 0.35
- मनेरीभाली-1, 0.65, 0.64
- मनेरीभाली-2, 1.17, 1.39
- चीला, 1.87, 2.19
- रामगंगा, 0.00, 2.03
- खटीमा, 0.38, 0.55
- पथरी, 0.37, 0.38
- मोहम्मदपुर, 0.16, 0.18
- गलोगी, 0.02, 0.02
- दुनाऊ, 0.01, 0.00
- पिलंगाड़, 0.02, 0.02
- उरगम, 0.05, 0.03
- कालीगंगा-1, 0.07, 0.01
- कालीगंगा-2, 0.02, —
- व्यासी, 0.14, —
- कुल, 6.93, 10.86