मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर राहुल गांधी का असहमति नोट: ‘अपमानजनक, अशिष्ट’
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नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति को लेकर असहमति जताई है। उन्होंने इसे “अपमानजनक और अशिष्ट” करार दिया और कहा कि यह देश की चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है।
राहुल गांधी की कड़ी प्रतिक्रिया
राहुल गांधी ने अपने असहमति पत्र में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) को चयन समिति से हटाकर न केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की, बल्कि देश के करोड़ों मतदाताओं की चिंताओं को भी बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा, “भारत के मुख्य न्यायाधीश को समिति से हटाने का निर्णय चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार है।”
राहुल गांधी ने इस फैसले को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया और आरोप लगाया कि सरकार चुनाव आयोग को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है।
रातों-रात लिया गया फैसला
राहुल गांधी ने यह भी सवाल उठाया कि सरकार ने आधी रात को मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का निर्णय क्यों लिया, जबकि इस प्रक्रिया की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और इस पर अगले 48 घंटों में सुनवाई होनी थी।
Lok Sabha LoP and Congress MP Rahul Gandhi tweets, “During the meeting of the committee to select the next Election Commissioner, I presented a dissent note to the PM and HM, that stated: The most fundamental aspect of an independent Election Commission free from executive… pic.twitter.com/NVTYqtfhRF
— ANI (@ANI) February 18, 2025
उन्होंने कहा, “एक लोकतांत्रिक देश में, चुनाव आयोग की स्वतंत्रता बनाए रखना बेहद आवश्यक है, लेकिन मोदी सरकार ने इसे कमजोर करने का प्रयास किया है।”
आगामी चुनावों पर प्रभाव
ज्ञानेश कुमार इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव और अगले साल पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु के चुनावों की निगरानी करेंगे। ऐसे में उनकी नियुक्ति पर विपक्ष की आपत्ति महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
राहुल गांधी ने अंत में कहा कि वह लोकतंत्र और स्वतंत्र चुनाव प्रणाली की रक्षा के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने इसे संविधान और बाबासाहेब अंबेडकर के सिद्धांतों पर हमला करार दिया।
सरकार की सफाई
वहीं, सरकार का कहना है कि यह नियुक्ति संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत हुई है और इससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
राहुल गांधी की आपत्ति ने इस नियुक्ति को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाता है और क्या यह फैसला आने वाले चुनावों को प्रभावित करेगा।