
हरिद्वार: गंगा की गोद में बसा हरिद्वार अब अर्धकुंभ से पहले जल संरक्षण की एक नई प्रयोगशाला बनने जा रहा है। यहां गंगा तट पर आधुनिक इन्फिल्ट्रेशन वेल (जल पुनर्भरण कुएं) तकनीक के माध्यम से जल संरक्षण और भूजल पुनर्भरण का अभिनव प्रयोग शुरू किया गया है।
यह तकनीक गंगा के जल को प्राकृतिक रूप से शुद्ध करती है और साथ ही धरती के अंदर जल स्तर बढ़ाने में मददगार साबित होगी। परियोजना का उद्देश्य हरिद्वार को रिवर-लिंक्ड स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करना है, जहां जल संरक्षण, स्वच्छता और रीयल-टाइम निगरानी एक साथ संभव हो सके।
प्रदेश सरकार की इस पहल के तहत गंगा किनारे आरसीसी इन्फिल्ट्रेशन वेल निर्माण कार्य तेजी से जारी है। लगभग एक करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रहे इन कुओं का व्यास 10 मीटर और गहराई 25 मीटर तक रखी गई है। लालजीवाला, गौरीशंकर और पंतदीप क्षेत्रों में इन कुओं का निर्माण किया जा रहा है।
इन वेल्स के माध्यम से गंगाजल को भूमिगत स्तर तक पहुंचाकर न केवल भूजल का पुनर्भरण किया जाएगा, बल्कि नदी के जल को प्राकृतिक रूप से शोधित करने की दिशा में भी यह कदम महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे हरिद्वार में घटते भूजल स्तर में सुधार आएगा और गंगा की स्वच्छता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
यह पहल गंगा के पवित्र तट पर आस्था, पर्यावरण संरक्षण और विज्ञान का सुंदर संगम पेश करती है — जहां श्रद्धा और तकनीक मिलकर जल संकट से निपटने की दिशा में ठोस कदम उठा रहे हैं।