समाजसेवी विजय मदान नें मरणोप्रान्त आंखे दान कर पेश की मिसाल
यु पी एंड इ एस के रजिस्ट्रार मनीष मदान के पिता जी है विजय मदान..
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Social worker Vijay Madan set an example by donating his eyes posthumousl
देहरादून:उपासना एनकालेव, पंडित वाड़ी निवासी समाजसेवी 15 दिसम्बर 1952 को जन्मे विजय मदान नें अपनी इच्छा जाहिर की थी कि मरणोप्रान्त उनकी आंखे दान की जाएँ ताकि वह व्यक्ति जो संसार नहीं देख सका इस सुन्दर संसार के दर्शन दीदारे कर सके l
उनके सपुत्र पूर्व वॉलीबॉल नेशनल प्लेयर एवं वर्तमान में यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेट्रोलियम एंड इनर्जी स्टडीज के रजिस्ट्रार मनीष मदान नें बताया कि पापा के 22 फ़रवरी को निधन होने पर निर्मल आश्रम आई इंस्टिट्यूट ऋषिकेश के आत्म प्रकाश जी को सूचित किया गया, सुचना पर वहाँ के डॉ. जीशान जाहिद, डॉ. हिमानी एवं डॉ. मकरेंदु नें आकर विजय मदान का कार्नीया प्राप्त कर लिया, मनीष नें कहा ऐसा करके पापा की इच्छा पूर्ण कर परिवार को संतोष मिला l
निर्मल आश्रम के सेवादार आत्म प्रकाश जी नें कहा कि आँखों के दान से कोई भी बड़ा दान नहीं है, दृष्टि एक ऐसा अमूल्य उपहार है जो केवल आप ही दे सकते हैँ l इसके लिए आवश्यक है कि मृत्यु के 6.0 घंटे अंदर ऑंखें दान करना, मृतक कि ऑंखें बंद कर उन पर गीली रुई रखे, पंखा बंद रखे ए सी है तो चलने दे एवं सिर के नीचे तकिया रखे l मनीष मदान नें बताया कि पापा जी की प्रेयर मीटिंग 25 फ़रवरी को 2.0 से 3.0 बजे तक गुरुद्वारा पंडितवाड़ी नजदीक शहीद द्वार पर होंगी l
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इस अवसर पर उत्तराखंड वॉलीबॉल एसोसिशन के अध्यक्ष चौधरी अवधेश कुमार, सुभाष शाह, कमलेश काला, नितिन वालिया, जतिन वालिया अमित, अवनीश कुमार शिवा चौधरी, अजय उनियाल एवं सेवा सिंह मठारु आदि नें गहरा शोक व्यक्त किया l