
देहरादून: उत्तराखंड पुलिस ने साइबर अपराधों पर नकेल कसते हुए बड़ी उपलब्धि हासिल की है। साइबर ठगी के मामलों में पीड़ितों के खातों से ठगे गए 47.02 करोड़ रुपये रिकवर कराकर उत्तराखंड पुलिस ने देशभर में छठा स्थान प्राप्त किया है। यह सफलता राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल और भारतीय गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के संयुक्त प्लेटफॉर्म के माध्यम से मिली है।
राष्ट्रीय स्तर पर दर्ज की उल्लेखनीय उपलब्धि
साइबर अपराध के खिलाफ चल रही राष्ट्रीय रैंकिंग में उत्तराखंड पुलिस ने ‘मनी सेव’ और ‘मनी रिटर्न्ड’ श्रेणी में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।
इस उपलब्धि के साथ उत्तराखंड अब उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो गया है, जो न केवल ठगी के मामलों की पहचान कर रहे हैं, बल्कि फ्रॉड रकम को पीड़ितों तक वापस पहुंचाने में भी प्रभावी साबित हुए हैं।
अंतरराज्यीय एजेंसियों के साथ संयुक्त कार्रवाई
साइबर अपराधियों के नेटवर्क को खत्म करने के लिए उत्तराखंड पुलिस ने उत्तर प्रदेश, दिल्ली, झारखंड और तेलंगाना जैसी राज्यों की एजेंसियों के साथ मिलकर कई संयुक्त अभियान चलाए हैं।
इन अभियानों के तहत दर्जनों साइबर ठगों की गिरफ्तारी की गई है और कई अंतरराज्यीय नेटवर्क्स को ध्वस्त किया गया है।
साइबर जागरूकता और आर्थिक सुरक्षा पर फोकस
राज्य पुलिस न केवल अपराधियों पर कार्रवाई कर रही है, बल्कि आम नागरिकों को जागरूक करने के लिए भी लगातार अभियान चला रही है।
इन अभियानों के माध्यम से लोगों को बताया जा रहा है कि वे फिशिंग, ऑनलाइन फ्रॉड, लिंक स्कैम और OTP ठगी से कैसे बच सकते हैं।
पुलिस का मुख्य उद्देश्य है — “हर नागरिक की मेहनत की कमाई की सुरक्षा।”
तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराध के बीच उत्तराखंड का प्रयास
देशभर में साइबर अपराधों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन उत्तराखंड पुलिस की त्वरित कार्रवाई, तकनीकी सतर्कता और समन्वय रणनीति के कारण राज्य इस दिशा में एक मॉडल स्टेट बनकर उभर रहा है।