शाहजहांपुर में सूटकेस में मिला महिला का शव, पोस्टमॉर्टम में आत्महत्या की पुष्टि, पति को मिली रिहाई

शाहजहांपुर (तिलहर)। शहर के तिलहर इलाके में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया, जहां एक महिला का शव लाल रंग के सूटकेस में मिलने से सनसनी फैल गई। प्रारंभिक जांच में यह मामला हत्या जैसा प्रतीत हो रहा था, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया। रिपोर्ट में महिला की मौत का कारण ‘हैंगिंग’, यानी फांसी लगाकर आत्महत्या बताया गया है।
घटना मोहल्ला पक्का कटरा की है, जहां गोरक्षक संघ नगर महामंत्री अशोक कनौजिया की पत्नी सविता (35) अपने तीन बच्चों के साथ रहती थीं। बताया गया कि सविता घरेलू कामकाज कर परिवार चलाने में सहयोग करती थीं, जबकि अशोक एक बैंक में वसूली का कार्य करता है।
पुलिस पूछताछ में अशोक ने बताया कि शनिवार रात वह मोहल्ले में आई एक बारात देखने गया था। जब वह करीब रात एक बजे लौटा, तो देखा कि उसकी पत्नी सविता घर की चौखट पर फंदे से लटकी हुई है। यह दृश्य देखकर वह घबरा गया और डर के मारे पत्नी का शव फंदे से उतारकर एक लाल सूटकेस में छिपा दिया। वह शव को ठिकाने लगाने की कोशिश कर रहा था, तभी किसी ने इसकी सूचना पुलिस को दे दी।
मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को बरामद किया और अशोक को हिरासत में लेकर पूछताछ की। हालांकि, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि सविता की मौत फांसी लगाने से हुई है और किसी प्रकार की चोट या संघर्ष के निशान नहीं मिले।
महिला के मायके पक्ष की ओर से भी पुलिस को कोई लिखित शिकायत या तहरीर नहीं दी गई है। केवल सविता के पिता महेंद्र, जो बुलंदशहर जनपद के थाना अरिहानपुर क्षेत्र के गांव ऊंचा के निवासी हैं, थाने पहुंचकर मौखिक रूप से संतुष्टि की बात कहते हुए लौट गए।
पुलिस ने मामले में किसी प्रकार की आपराधिक साजिश या हिंसा की पुष्टि न होने और कोई तहरीर न मिलने के चलते अशोक को रिहा कर दिया है। प्रभारी निरीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि महिला का अंतिम संस्कार पुलिस की निगरानी में दोदराजपुर मोक्षधाम पर सोमवार को कर दिया गया। मुखाग्नि सविता के 8 वर्षीय बेटे अमन ने दी, जो ब्लड कैंसर से पीड़ित है।
परिवार की स्थिति अत्यंत दयनीय बताई जा रही है। सविता लंबे समय से बेटे की बीमारी को लेकर मानसिक तनाव में थीं। अशोक और सविता की शादी वर्ष 2010 में हुई थी। उनके तीन बच्चे हैं—14 वर्षीय बेटी संध्या, 8 वर्षीय अमन और 3 वर्षीय रोहित।
यह मामला न केवल एक आत्महत्या की कहानी है, बल्कि उस सामाजिक और मानसिक दबाव की भी तस्वीर पेश करता है, जिससे आम मध्यमवर्गीय परिवार जूझ रहे हैं। ब्लड कैंसर से पीड़ित बेटे के इलाज में खर्च हुए रुपयों और मानसिक तनाव ने शायद एक मां को ऐसा कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया।
फिलहाल पुलिस मामले को आत्महत्या मान रही है, लेकिन यदि परिवार की ओर से कोई नई तहरीर आती है, तो जांच आगे बढ़ाई जाएगी।