
World Health Day : हर साल 7 अप्रैल को दुनियाभर में ‘वर्ल्ड हेल्थ डे’ यानी विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ डॉक्टरों, नर्सों या हेल्थ वर्कर्स का सम्मान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हम सभी को यह याद दिलाने का मौका है कि “सेहत ही सबसे बड़ी पूंजी है।”
इतिहास: कहां से शुरू हुई यह परंपरा?
विश्व स्वास्थ्य दिवस की शुरुआत की कहानी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की है। उस समय दुनिया महामारी, कुपोषण और चिकित्सा सेवाओं की भारी कमी से जूझ रही थी। ऐसे में एक ऐसी वैश्विक संस्था की ज़रूरत महसूस हुई, जो पूरी दुनिया में स्वास्थ्य से जुड़ी नीतियों का निर्माण और समन्वय कर सके।
इसी सोच से 7 अप्रैल 1948 को World Health Organization (WHO) की स्थापना हुई। इस ऐतिहासिक दिन को यादगार बनाने के लिए 1950 से हर साल 7 अप्रैल को ‘वर्ल्ड हेल्थ डे’ के रूप में मनाने की परंपरा शुरू की गई।
महत्त्व: क्यों ज़रूरी है वर्ल्ड हेल्थ डे?
विश्व स्वास्थ्य दिवस महज एक तारीख नहीं, बल्कि एक चेतावनी, एक अलार्म बेल है – जो हमें याद दिलाती है कि हमारी सेहत की ज़िम्मेदारी सिर्फ डॉक्टरों की नहीं, बल्कि हमारी अपनी भी है।
इस दिन के मुख्य उद्देश्य:
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लोगों को सेहत के प्रति जागरूक बनाना
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हेल्थकेयर से जुड़ी समस्याओं पर पब्लिक डायलॉग शुरू करना
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सरकारों को स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए प्रेरित करना
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नई पीढ़ी को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना
2025 की थीम: “स्वस्थ शुरुआत, आशाजनक भविष्य”
(Healthy Beginnings, Hopeful Futures)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) हर साल वर्ल्ड हेल्थ डे के लिए एक खास थीम तय करता है। साल 2025 की थीम है: “स्वस्थ शुरुआत, आशाजनक भविष्य”।
इसका फोकस मां और नवजात शिशु की सेहत पर है। इसका मकसद है यह दिखाना कि गर्भावस्था, प्रसव और जन्म के बाद की देखभाल कितनी जरूरी है — ताकि शिशु मृत्यु दर कम की जा सके और हर बच्चे को एक स्वस्थ शुरुआत मिल सके।
वर्ल्ड हेल्थ डे हर साल हमें यह याद दिलाता है कि स्वास्थ्य ही जीवन की असली संपत्ति है। चाहे हम कहीं भी रहते हों, किस भी पेशे में हों — एक स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मानसिकता ही हमें सच्चा सुख दे सकती है।
तो इस 7 अप्रैल, आइए खुद से एक वादा करें — अपनी सेहत को प्राथमिकता दें, सही खानपान रखें, एक्टिव रहें और दूसरों को भी हेल्दी रहने के लिए प्रेरित करें!