उत्तराखंडराजनीति

देहरादून: उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग तेज

उत्तराखंड में उपनल (उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड) कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग लगातार जोर पकड़ रही है। बुधवार को निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाकर सरकार को घेरने का काम किया।

22000 उपनल परिवारों के लिए न्याय की मांग

विधानसभा में उमेश कुमार “उत्तराखंड के 22000 उपनल परिवारों के साथ न्याय करो” लिखे पोस्टर के साथ पहुंचे और सरकार पर उपनल कर्मचारियों की अनदेखी का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि 2018 से उपनल कर्मचारी दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।

  • उच्च न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला दिया, लेकिन सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
  • सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और रिव्यू फाइल करने को कहा।
  • सरकार ने रिव्यू पिटीशन दायर तो कर दी, लेकिन अब एक साल बीत चुका है और इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया।

तनख्वाह नहीं, उल्टा जीएसटी का बोझ

उपनल कर्मचारियों को न सिर्फ नियमितीकरण से वंचित रखा गया है, बल्कि वेतन संबंधी परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है।

  • कई कर्मचारियों को महीनों से वेतन नहीं मिला।
  • सरकार ने जीएसटी लागू कर दिया, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो रही है।

“धरना प्रदर्शन करना पड़े तो करेंगे” – उमेश कुमार

विधायक उमेश कुमार ने सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि –
सरकार को जल्द से जल्द रिव्यू पिटीशन वापस लेकर नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
 यदि सरकार इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रहेगी, तो हम धरना-प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे।

आखिर कब मिलेगी उपनल कर्मचारियों को स्थायी नौकरी?

उत्तराखंड में 22000 से अधिक उपनल कर्मचारी अस्थायी रूप से काम कर रहे हैं।

  • ये कर्मचारी स्वास्थ्य, बिजली, परिवहन और अन्य विभागों में काम कर रहे हैं, लेकिन स्थायी कर्मचारियों की सुविधाओं से वंचित हैं।
  • लगातार धरना-प्रदर्शन के बावजूद सरकार ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

अब देखना यह होगा कि सरकार इस मांग को लेकर क्या निर्णय लेती है।
क्या उपनल कर्मचारियों को न्याय मिलेगा या उन्हें अभी और लंबा संघर्ष करना पड़ेगा?

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