द्वितीय केदार मद्महेश्वर मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद
उखीमठ में 21 नवंबर को पहुंचेगी मद्महेश्वर की चलविग्रह उत्सव डोली

उखीमठ/रुद्रप्रयाग, 18 नवंबर: द्वितीय केदार मद्महेश्वर मंदिर के कपाट मंगलवार सुबह 8 बजे शीतकाल के लिए मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी, स्वाति नक्षत्र की शुभ घड़ी में बंद कर दिए गए। सोमवार से ही मंदिर को भव्य रूप से फूलों से सजाया गया था। कपाट बंद होने की प्रक्रिया के दौरान साढ़े तीन सौ से अधिक श्रद्धालु, बीकेटीसी के अधिकारी-कर्मचारी, वन विभाग और प्रशासनिक प्रतिनिधि मौजूद रहे।
ब्रह्ममुहूर्त में मंदिर खोलकर श्रद्धालुओं ने दर्शन और पूजा-अर्चना की। इसके बाद सुबह 7 बजे कपाट बंद करने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हुई। पुजारी द्वारा स्वयंभू शिवलिंग को नियमानुसार समाधि रूप दिया गया और स्थानीय पुष्प व राख से ढका गया। सुबह 8 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।
कपाट बंद होने के बाद मद्महेश्वर की चलविग्रह डोली ने भंडार निरीक्षण और परिक्रमा के बाद ढोल-दमाऊं की धुन पर प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान किया।
बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने कपाट बंद होने के अवसर पर श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए शीतकालीन पूजन स्थलों में दर्शन करने की अपील की। उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती और उपाध्यक्ष विजय कप्रवाण ने भी शुभकामनाएं व्यक्त कीं।
मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया कि कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद इस वर्ष मद्महेश्वर धाम में 22 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। कपाट बंद होने के बाद चलविग्रह डोली रात्रि प्रवास हेतु पहले पड़ाव गौंडार के लिए रवाना हो गई।
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ के अनुसार, 19 नवंबर को डोली रांसी के राकेश्वरी मंदिर, 20 नवंबर को गिरिया में प्रवास करेगी। 21 नवंबर को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ पहुंचेगी, जहां स्वागत की तैयारियां तेज कर दी गई हैं।
कपाट बंद होने के अवसर पर बीकेटीसी सदस्य प्रह्लाद पुष्पवान, मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल, प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, गौंडारी हकहकूकधारी, स्थानीय जनप्रतिनिधि और वन विभाग व प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।