
देहरादून: विद्यालयी शिक्षा के महानिदेशक ने छात्रों से गैर-शैक्षणिक कार्य कराने पर सख्त रुख अपनाया है। हाल ही में चमोली और देहरादून के कुछ स्कूलों में सामने आई घटनाओं के बाद उन्होंने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि स्कूल में पढ़ाई से संबंधित ही कार्य छात्रों से कराए जाएं।
महानिदेशक ने कहा कि संविधान और बाल श्रम विरोधी कानून के तहत किसी भी प्रकार का बाल श्रम शिक्षा संस्थानों में पूरी तरह से निषिद्ध है। उन्होंने अधिकारियों और शिक्षकों को निर्देश दिए हैं कि यदि किसी स्कूल में छात्रों से गैर-शैक्षणिक या शारीरिक श्रम कराया जाता है, तो संबंधित प्राचार्य और शिक्षक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य छात्रों को सीखने और विकसित होने के अवसर प्रदान करना है, न कि उन्हें अनावश्यक कार्यों में लगाना। इस दिशा में महानिदेशक ने जिले के सभी स्कूलों में निरीक्षण बढ़ाने और नियमित रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं।
इसके अलावा, उन्होंने स्कूलों को चेताया है कि इस तरह की घटनाओं की सूचना मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी और किसी भी प्रकार की लापरवाही को गंभीर रूप से लिया जाएगा। शिक्षा विभाग ने यह सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए हैं कि छात्रों की पढ़ाई और सुरक्षा सुनिश्चित रहे और वे किसी भी प्रकार के बाल श्रम से मुक्त रहें।