
प्रकाशित: 09 अक्टूबर 2025,नैनीताल जंगलों में बाघों की बढ़ती संख्या अब तेंदुओं के लिए अस्तित्व का संकट बनती जा रही है। जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) और उससे सटे तराई पश्चिमी वन प्रभाग में बाघों की बढ़ती मौजूदगी ने तेंदुओं को जंगल छोड़कर आबादी की ओर भागने पर मजबूर कर दिया है। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष लगातार बढ़ रहा है।
बाघों की बढ़ती दहाड़, तेंदुओं का सिमटता ठिकाना
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, तराई के जंगलों में बाघों की संख्या अब चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। केवल तराई पश्चिमी वन प्रभाग में ही 57 बाघों की मौजूदगी दर्ज की गई है।
बाघ अब जंगल के सीमावर्ती इलाकों तक पहुंच गए हैं — जो पहले तेंदुओं का इलाका माना जाता था। अपनी सुरक्षा के लिए तेंदुए अब आबादी वाले क्षेत्रों में शरण लेने को विवश हैं।
आबादी में बढ़ा खतरा
आबादी में आने के बाद तेंदुए कुत्तों और बिल्लियों जैसे छोटे जानवरों का शिकार कर किसी तरह जीवित हैं। इससे लोगों में दहशत और वन विभाग की चिंता दोनों बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह स्थिति यूं ही बनी रही तो जंगलों का संतुलन बिगड़ सकता है और तेंदुओं का प्राकृतिक व्यवहार भी प्रभावित होगा।
विशेषज्ञों की राय
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाघ और तेंदुआ दोनों ही शिकार क्षेत्र के लिए प्रतिस्पर्धी हैं। बाघों की बढ़त से तेंदुए जंगल के अंदरूनी हिस्सों से खदेड़े जा रहे हैं, जिससे वे मनुष्यों के संपर्क में आ रहे हैं। विभाग अब तेंदुओं के आवास क्षेत्रों की पुनर्व्यवस्था और निगरानी बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
जंगल की यह नई जंग अब केवल बाघ और तेंदुए के बीच नहीं रही — इसका असर सीधे इंसानी बस्तियों तक पहुंच चुका है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, यदि बाघों की संख्या पर नियंत्रण और तेंदुओं के लिए सुरक्षित आवास नहीं बनाए गए, तो आने वाले वर्षों में यह संघर्ष और गहराएगा।