उत्तराखंड

ड्रग तस्करी पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ से उत्तराखंड और यूपी पुलिस में ठनी: आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी

ड्रग तस्करों पर चर्चित सर्जिकल स्ट्राइक पर यूपी व यूके पुलिस आमने सामने आ गयी है। दोनों राज्यों की। पुलिस अपने हक इन सबूत पेश कर रही है। इस सर्जिकल स्ट्राइक का मसला उच्च स्तर तक पहुंच गया है। यूपी व उत्तराखंड की।पुलिस एक दूसरे पर आरोप मढ़ रही है। ड्रग तस्करों को पकड़ने बरेली गयी उत्तराखंड की पुलिस पर स्थानीय ग्रामीणों ने निर्दोषों को फंसाने के आरोप लगाया है।

बरेली पुलिस का कहना है कि उत्तराखंड पुलिस ने बिना उन्हें विश्वास में लिए फिल्मी अंदाज में गांव में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की। उत्तराखंड पुलिस ने सहरी के वक्त गांव इन घुसकर 25 ड्रग तस्करों को पकड़ने का दावा किया था। इधऱ, 48 घण्टे से जारी आरोप-प्रत्यारोप के बाद सर्जिकल स्ट्राइक ने दोनों राज्यों की पुलिस की उलझन बढ़ा दी है। आलाधिकारी भी इस प्रकरण से हैरत में हैं।

आलम यह है कि दोनों राज्यों के एसएसपी मणिकांत मिश्रा व अनुराग आर्य अपने स्टैंड को लेकर मीडिया को सबूत भी पेश कर रहे हैं।

बहरहाल, बरेली के गांव से हिरासत से निर्दोष बताकर छोड़े गए 15 में 14 ग्रामीणों के स्वजन ने मंगलवार को थाने पहुंचकर आठ तहरीरें दीं। उनका कहना था कि उत्तराखंड के पुलिसकर्मियों ने बेवजह दरवाजे तोड़े व महिलाओं से अभद्रता की।
इन शिकायतों पर जांच का आश्वासन देने वाली बरेली पुलिस ने उत्तराखंड टीम पर पलटवार भी किया। स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि उत्तराखंड के तस्कर मैदान इलाके में स्मैक खपा रहे। इसकी पुष्टि के लिए चार वर्षों में पकड़े गए 64 आरोपितों का ब्योरा भी सार्वजनिक कर दिया।

गौरतलब है कि रविवार रात बारात वाले स्टीकर लगी बसों-कारों से उत्तराखंड के 300 अधिकारी-पुलिसकर्मी फतेहगंज पश्चिमी व अगरास के कई घरों में घुसे थे। इस दबिश को ‘स्ट्राइक’ बताकर वहां के अधिकारियों ने प्रेस नोट व कई वीडियो-फोटो जारी किए थे।
उन्होंने दावा किया कि उत्तराखंड को ड्रग्स मुक्त बनाने के लिए दूसरे राज्य (उत्तर प्रदेश) में घुसकर तस्करों की कमर तोड़ दी। 25 आरोपियों को पकड़ा है।

सोमवार सुबह से दोपहर तक पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिलने पर उधमसिंहनगर पुलिस ने 15 ग्रामीणों को छोड़ दिया। सिर्फ एक वांछित आसिफ की गिरफ्तारी दर्शाई। इनकी वापसी के बाद बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य ने थानों से रिकार्ड चेक कराया। उनका कहना था कि इन 15 ग्रामीणों में 14 पर कभी कोई मुकदमा नहीं हुआ, सिर्फ एक पर मारपीट का केस दर्ज है।

इसके बाद सोमवार देर रात तक उत्तराखंड पुलिस टीम कहती रही कि बरेली के शेष नौ संदिग्धों से पूछताछ में सुराग मिलेंगे। बरेली के एसएसपी बार-बार दोहराते रहे कि शेष नौ लोग इस जिले के नहीं हैं।
आखिरकार, मंगलवार सुबह उत्तराखंड पुलिस ने स्वीकारा कि वे नौ लोग बरेली नहीं, बल्कि आसपास क्षेत्र के थे। उन लोगों को भी पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया।

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