
देहरादून, 27 सितंबर 2025: भारतीय वायुसेना के उन पुराने योद्धाओं में से एक मिग-21 अब इतिहास बन गया है। यह सुपरसोनिक जेट भारत के लिए छह दशक तक आसमान का प्रहरी बना रहा। इस विमान से जुड़े वे ताजे किस्से और यादें देहरादून निवासी एयर मार्शल (रिटायर) बृजेश धर जयाल ने साझा की हैं, जिन्होंने इस विमान को पहली बार उड़ाया था।
यादों की उड़ान
वर्ष 1962 में भारत ने मिग-21 विमान अपनाने का निर्णय लिया। इसके बाद आठ भारतीय पायलटों को सोवियत संघ में भेजा गया। उनमें से एक थे बृजेश धर जयाल। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 27 वर्ष थी।
11 जनवरी 1963 को लुगोवाया एयरबेस (सोवियत संघ) में उन्होंने पहली बार मिग-21 उड़ाया। जयाल बताते हैं कि उस समय कॉकपिट में लगे सभी मीटर और डायल रूसी भाषा में थे। इसलिए पहले उन्हें डेढ़ महीने क्लासरूम में भाषा सीखने और उपकरणों का प्रशिक्षण लेने वाला समय बिताना पड़ा।
मिग-21: एक प्रतीक
बृजेश धर जयाल के अनुसार, मिग-21 केवल एक लड़ाकू विमान नहीं था; यह भारत की सुरक्षा और शौर्य की ढाल था। कई युद्धों और मिस़ियों में इसने अहम भूमिका निभाई।
जयाल के लिए यह विमान उनके जीवन का एक हिस्सा बन गया — उड़ानों की चुनौतियों से लेकर टेकनिकल खामियों को समझने तक, हर पल ने उन्हें विमानन इतिहास के अग्रिम पंक्ति का हिस्सा बनाया।