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नयी फिल्म नीति विकास की नयी गाथा लिखेगी मुंबई ‘कौथिग’ में डॉ. नितिन उपाध्याय

उत्तराखण्ड

रहेगा जहाँ वहीँ रोशनी लुटायेगा, किसी चिराग का अपना मक़ाम नहीं होता. इस बात को चरितार्थ करते हुए उत्तराखंड के लोग जहाँ-जहाँ हैं, वहीँ-वहीं रोशनी फैला रहे हैं.

‘कौथिग-2024’ में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सयुंक्त निदेशक (सूचना विभाग) व नोडल अधिकारी (फिल्म विकास परिषद) डॉक्टर नितिन उपाध्याय ने इन शब्दों के साथ प्रवासियों की भूमिका को रेखांकित किया.

‘कौथिग’ प्रांगण में उपस्थित हज़ारों की भीड़ को सम्बोधित करते हुए डॉक्टर उपाध्याय ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की ओर से सभी प्रवासियों को साधुवाद दिया और कहा कि आप सभी उत्तराखंड के सांस्कृतिक विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.

उत्तराखंड की नयी फिल्म निति पर रोशनी डालते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की नयी फिल्म नीति राज्य के विकास की नयी गाथा लिखेगी और भविष्य में उत्तराखंड को नए ‘फिल्म डेस्टिनेशन’ के रूप में स्थापित करेगा.

‘कौथिग’ के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि अपनी जड़ से जुड़े हुए लोगों को पहचानना और उन्हें सम्मानित करना महत्वपूर्ण कार्य है.

साथ ही उत्तराखंडी प्रवासी स्वर को मुखर करनेवाले अभिनेता हेमंत पाण्डे ने कहा कि प्रवासियों का आपसी मेल-मिलाप इस शहर में हमारे प्रेम की धूरी है और हमें इसमें मिठास घोलते रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि ‘कौथिग’ जैसे मेले समाज में नयी ऊर्जा का संचार करते हैं और सांस्कृतिक विस्तार को नया फ़लक देते हैं.

10 दिवसीय मेले ‘कौथिग’ में उमड़ी हज़ारों प्रवासियों की भीड़ ने करतल ध्वनि के साथ अतिथिगणों का स्वागत किया. अन्य अतिथियों में फिल्म निर्माता-निर्देशक यतीन्द्र रावत, जिनकी उत्तराखंडी फिल्म प्रदर्शन को तैयार है, अभिनेत्री निधि नौटियाल व वरिष्ठ फिल्म पत्रकार रेखा खान उपस्थित थीं.

उल्लेखनीय है कि 8 से 17 मार्च तक चलनेवाले इस मेले में ‘उत्तराखंड आर्गेनिक कमोडिटी बोर्ड’ की ओर से जैविक उत्पादों की प्रदर्शनी लगायी गयी है. जिसमें किसानों द्वारा उगाये गये उत्पाद पौष्टिक आहार पर नयी रोशनी डालते हैं और दैनिक जीवन में जैविक आहार के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

उत्तराखंड सरकार के संस्कृति निदेशालय की भागीदारी भी महत्वपूर्ण है. निदेशालय की ओर से प्रेषित सांस्कृतिक दल अपनी प्रस्तुति से उत्तराखंड की सांस्कृतिक विविधता में नया रंग भर रहे हैं.

‘कौथिग’ मुंबई के प्रवासियों और उत्तराखंड के स्थानीय लोगों के बीच एक मजबूत संवाद-सेतु के रूप में उभरा है और प्रवासियों को अपनी जड़ों से जुड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

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