उत्तराखंडटिहरी गढ़वाल

गढ़वाल मंडल में रहेगा चक्का जाम, दून और पर्वतीय क्षेत्रों की यूनियनों का भी समर्थन मिला

गढ़वाल मंडल में ट्रक, डंपर, विक्रम, ऑटो, ई-रिक्शा, ई-ऑटो और बसों का चक्का जाम रहेगा। परिवहन महासंघ के आह्वान पर पूरे गढ़वाल मंडल में यह चक्का जाम किया जाएगा। देहरादून और पर्वतीय क्षेत्रों की यूनियनों ने भी आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की है। ट्रांसपोर्टर ऋषिकेश में विभिन्न स्थानों पर वाहनों का संचालन रोकेंगे।

परिवहन महासंघ के बैनर तले टिहरी गढ़वाल मोटर ऑनर्स यूनियन (टीजीएमओ) कार्यालय में ट्रक, डंपर, विक्रम, ऑटो, ई-रिक्शा, ई-ऑटो और बस यूनियनों के प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित हुई। टीजीएमओ अध्यक्ष जितेंद्र नेगी ने बताया कि सोमवार को देहरादून में आयोजित बैठक में परिवहन सचिव की ओर से मांगों को मानने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

ट्रांसपोर्टर गजेंद्र नेगी ने कहा कि पिछले वर्ष ट्रकों की भार क्षमता बढ़ाने को लेकर आंदोलन किया गया था। उस समय परिवहन विभाग के अधिकारियों ने 21 दिन के भीतर समाधान का आश्वासन दिया था, परंतु आज तक समस्या जस की तस बनी हुई है।

भूपाल सिंह नेगी ने कहा कि ट्रांसपोर्टरों ने जो मांगें परिवहन विभाग को भेजी थीं, उनमें से किसी भी मांग को नहीं माना गया। इसलिए पूरे गढ़वाल मंडल में एक दिन का चक्का जाम आवश्यक हो गया है। गढ़वाल ट्रक एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश बहुगुणा और बिजेंद्र कंडारी ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ट्रांसपोर्टरों की लगातार अनदेखी कर रही है।

सभी यूनियनों की सहमति के बाद संयोजक संजय शास्त्री ने 29 अक्टूबर को एक दिवसीय चक्का जाम की घोषणा की।

बैठक में पहुंचे एआरटीओ, नहीं बनी सहमति

टीजीएमओ कार्यालय में आयोजित बैठक में ट्रांसपोर्टरों को मनाने के लिए एआरटीओ (प्रशासन) रावत सिंह कटारिया और एआरटीओ (प्रवर्तन) रश्मि पंत टीम के साथ पहुंचे। उन्होंने ट्रांसपोर्टरों के सामने 10 सूत्रीय मांगों में से 80 फीसदी समाधान मुख्यालय स्तर पर किए जाने की बात कही।

इन मांगों में एआरटीओ कार्यालय परिसर में वाहनों की फिटनेस जांच पूर्व की भांति शुरू करने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को प्रस्ताव भेजने, वाहन स्वामियों को एक वर्ष का टैक्स माफ करने, चालकों को आर्थिक सहायता देने, आपदा में अधिग्रहित वाहनों का किराया बढ़ाने, ट्रकों की भार क्षमता बढ़ाने और राष्ट्रीय परमिट वाले वाहनों में एकरूपता लाने जैसी बातें शामिल थीं।

ट्रांसपोर्टरों ने कहा कि जब तक लिखित आश्वासन नहीं मिलेगा, तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे। एक दिन का चक्का जाम हर हाल में किया जाएगा।

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