पत्थर दिल परिजन: दूसरी बेटी होने पर नवजात को गड्ढे में फेंका, मजदूरों ने बचाई जान

शाहजहांपुर। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। यहां एक नवजात बच्ची को उसकी दादी और नानी ने सिर्फ इसलिए सुनसान जगह पर छोड़ दिया क्योंकि वह परिवार की दूसरी बेटी थी और जन्म से ही होंठ कटे हुए थे। बच्ची को निर्माणाधीन नगर निगम कार्यालय के पास गड्ढे में छोड़ दिया गया था, लेकिन सौभाग्य से समय रहते मजदूरों ने बच्ची को देख लिया और उसकी जान बच गई।
मजदूरों ने बच्ची की चीखें सुनी, फिर दी पुलिस को सूचना
यह दर्दनाक घटना सोमवार दोपहर की है। नगर निगम के निर्माणाधीन कार्यालय के पास कुछ मजदूर काम कर रहे थे, तभी उन्हें एक गड्ढे से किसी के रोने की आवाज सुनाई दी। जब वे पास पहुंचे तो देखा कि एक नवजात बच्ची कपड़ों में लिपटी पड़ी है। मजदूरों ने तुरंत बच्ची को उठाया और पुलिस को सूचना दी। इसके बाद बच्ची को आनन-फानन में राजकीय मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है और अब उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

कैमरे में कैद हुईं दादी-नानी की हरकतें
चश्मदीदों के अनुसार, दो महिलाएं बच्ची को झोले में लेकर आई थीं। पहले वे ककरा काकरकुंड पुल पर खड़ी रहीं, लेकिन जब वहां ज्यादा लोग दिखे तो वे नगर निगम कार्यालय के पास पहुंचीं और बच्ची को गड्ढे में छोड़कर तेज़ी से वहां से चली गईं। यह पूरी घटना आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गई है, जिसकी मदद से पुलिस ने उनकी पहचान की।
माता-पिता की हुई पहचान, परिवार कर रहा माफ़ी की मांग
पुलिस जांच में पता चला है कि बच्ची को जन्म देने वाली महिला थाना सदर बाजार क्षेत्र की निवासी है। 16 मई को उसने राजकीय मेडिकल कॉलेज में ऑपरेशन से बच्ची को जन्म दिया था। उसी दिन उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। बाद में उसकी मां और सास ने मिलकर बच्ची को छोड़ने का फैसला लिया। बच्ची का पिता मजदूरी करता है और यह उसकी दूसरी बेटी है। डॉक्टरों ने बच्ची के होंठ कटे होने के कारण उसे लखनऊ ले जाकर इलाज कराने की सलाह दी थी, लेकिन इलाज की बजाय परिवार ने बच्ची को छोड़ना बेहतर समझा।

चाइल्डलाइन और सीडब्ल्यूसी की टीम सक्रिय
घटना की जानकारी मिलने पर चाइल्डलाइन और बाल कल्याण समिति (CWC) की टीम भी मौके पर पहुंची और बच्ची को लेकर पूरी स्थिति की जांच की। जिला प्रोबेशन अधिकारी गौरव मिश्रा ने बताया कि बच्ची की हालत अब स्थिर है और पूरे परिवार की काउंसलिंग कराई जा रही है। उचित प्रक्रिया पूरी होने के बाद बच्ची को परिवार के सुपुर्द किया जाएगा। वहीं, पुलिस ने भी संबंधित परिजनों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की बात कही है।
मानवता पर सवाल, बेटी के जन्म पर ऐसा क्यों?
यह घटना सिर्फ एक बच्ची को छोड़ने की नहीं है, बल्कि समाज में अब भी मौजूद ‘बेटी को बोझ’ मानने वाली सोच को उजागर करती है। एक नवजात बच्ची, जिसने अभी जीवन की शुरुआत भी नहीं की थी, उसे सिर्फ इसलिए ठुकरा दिया गया क्योंकि वह बेटी है और जन्मजात विकृति के साथ आई है। यह घटना सवाल खड़ा करती है – क्या आज भी हमारी मानसिकता इतनी संकीर्ण है?
इस घटना ने शाहजहांपुर ही नहीं, पूरे समाज को झकझोर दिया है। बच्ची की जान तो बच गई, लेकिन सवाल यह है कि क्या हम अब भी बेटियों को अपनाने और उन्हें बराबरी का हक़ देने के लिए तैयार हैं? जरूरत है कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई हो और समाज को बार-बार जागरूक किया जाए कि बेटियां बोझ नहीं, वरदान होती हैं।