
पौड़ी। बुधवार को प्रदेश की पांचवी विधानसभा के चुने गए विधायकों ने मंत्रीपद की शपथ ले ली। इस बार की मंत्रीपद में पौड़ी जिले का कद घटा है।
इससे पहले वर्ष 2017 में जिले से ही प्रदेश के मुखिया तो तीन-तीन कैबिनेट मंत्री थे। हालांकि तब प्रदेश में बतौर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पौड़ी जिले से चुनाव नहीं लड़े थे। लेकिन त्रिवेंद्र के सीएम बनने से पौड़ी जिले का मान जरूर बढ़ा था। पिछली सरकार में पौड़ी जिले से सतपाल महाराज, डा. हरक सिंह रावत और डा. धन सिंह रावत कैबिनेट मंत्री थे। यहां तक की तीनों मंत्रियों के पास महत्वपूर्ण महकमों की जिम्मेदारी भी थी। हालांकि कोटद्वार सीट से मंत्री रहे डा. हरक सिंह रावत को विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने 6 सालों के लिए निष्कासित करते हुए पार्टी के बाहर कर दिया था। इस बार उनकी जगह इसी सीट से पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी की पुत्री ऋतु खंडूड़ी के भी मंत्री बनने की चर्चा थी। लेकिन फिलहाल ऋतु को मंत्री मंडल में जगह नहीं मिल पायी। जबकि ऋतु ने लगातार दो बार विधानसभा चुनाव जीता है। वहीं जिले की लैंसडोन सीट से लगातार तीसरी बार विधायक बनने वाले दिलीप रावत मंहत को भी मंत्री बनाये जाने की भी मांग कार्यकर्ताओं द्वारा की जा रही थी। लेकिन मंहत को भी मंत्री मंडल में शामिल नहीं किया गया। 2017 में जिले में मंत्री रहे सतपाल महाराज व डा.धन सिंह रावत फिर कैबिनेट में जगह बनाने में सफल रहे। महाराज ने इस बार भी सीएम के बाद दूसरे नंबर पर शपथ ली। पिछले विधानसभा चुनाव में भी जिले की सभी 6 सीट भाजपा ने जीती थी और इस बार भी सभी सीट भाजपा ने ही जीती है।
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सरकार में चमोली जिले की झोली रही खाली
चमोली। बुधवार को देहरादून के परेड ग्राउंड में प्रदेश की पांचवीं निर्वाचित सरकार का विधिवत गठन हो गया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी सहित आठ मंत्रियों ने शपथ ली। लेकिन चमोली जिले की झोली इस बार भी सरकार में खाली रही। यहां से दो विधायकों की जीत के बावजूद सरकार में प्रतिनिधित्व नहीं मिला। बीते फरवरी माह में हुए निर्वाचन में चमोली जिले की तीन विधानसभा सीटों में से कर्णप्रयाग और थराली में भाजपा को जीत मिली। जबकि बदरीनाथ सीट पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। इससे पूर्व 2017 में भी कर्णप्रयाग और थराली सीटें भाजपा की झोली में थीं। यही नहीं दोनों विधानसभा सीटों पर अब तक हुए पांच चुनावों में चार बार भाजपा ने जीत दर्ज की। खास तौर पर कर्णप्रयाग से इस बार जीते विधायक अनिल नौटियाल 2002 और 2007 के बाद लगातार तीसरी बार विधायक बने। जिससे कार्यकर्ताओं को विश्वास था कि चीन सीमा से लगे चमोली जिले और ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण वाली कर्णप्रयाग विधानसभा को इस बार सरकार में प्रतिनिधित्व मिलेगा। लेकिन बुधवार को सरकार में चमोली जिले को प्रतिनिधित्व नहीं मिलने के चलते यहां मायूसी हाथ लगी। राजनीतिक जानकार भुवन नौटियाल का कहना है कि अविभाजित उप्र के समय में कर्णप्रयाग विधानसभा जीते विधायकों को सरकार के मंत्रीमंडल में लगातार जगह मिली। लेकिन अपने प्रदेश में अब तक प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया। जिसका असर सीमांत जिले के विकास पर पड़ रहा है।