
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में आक्रोश का माहौल है। इस बीच ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए सिंधु जल संधि को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने पहले दावा किया था कि पाकिस्तान के लिए सिंधु नदी का पानी रोक दिया जाएगा, लेकिन जब इस संबंध में जानकारी ली गई तो पता चला कि सरकार के पास इस जल को रोकने की कोई ठोस व्यवस्था ही नहीं है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि यदि सरकार आज से भी इस दिशा में काम शुरू करे, तो भी उसे पूरी व्यवस्था विकसित करने में कम से कम 20 साल का समय लगेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सिर्फ संधि समाप्त करने की बातें कर जनता को बहलाया नहीं जा सकता। स्वामी ने सरकार से मांग की कि सबसे पहले आतंकी हमले के जिम्मेदार लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ तत्काल कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही सीमापार बैठे आतंकियों के आकाओं को भी सबक सिखाने के लिए युद्ध की तैयारी शुरू करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “देश की 140 करोड़ जनता सरकार के साथ है। अब सिर्फ सख्त कदम उठाने की जरूरत है।”
‘पानी रोकने की धमकी से नहीं रुकेगी आतंकी गतिविधियां’
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पानी रोकने की रणनीति पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि बार-बार पानी बंद करने की धमकी देने से आतंकी गतिविधियां नहीं रुकेंगी। उन्होंने कहा, “यह समय सीधे और प्रभावी कार्रवाई का है। जो भी इस हमले का जिम्मेदार है, उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाए। अगर मेरे बस में होता तो अब तक उसका गला पकड़ चुका होता। अब सहन नहीं हो रहा। जिस तरह हमारे लोगों पर हमला हुआ है, उससे पूरे देश का खून खौल रहा है।”
गोमाता संरक्षण के लिए 33 करोड़ मतदाताओं को जोड़ने का लक्ष्य
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अपने संबोधन में गोमाता संरक्षण अभियान की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि देशभर में गोमाता की रक्षा के लिए व्यापक मुहिम चलाई जा रही है। उनका लक्ष्य है कि 33 करोड़ मतदाताओं को इस अभियान से जोड़ा जाए। इसके लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक ‘गो सांसद’ नियुक्त किया जा रहा है। भविष्य में ये ‘गो सांसद’ संसद में जाकर गोसेवा के सच्चे संरक्षण के लिए आवाज उठाएंगे।
स्वामी जी ने देसी गायों के संरक्षण का भी आह्वान किया और विशेष रूप से ‘रामा गाय’ के महत्व को रेखांकित करते हुए भक्तों को आशीर्वाद दिया।
कार्यक्रम के समापन के बाद वे सड़क मार्ग से हरिद्वार के लिए रवाना हो गए, जहां वे बद्रीनाथ और केदारनाथ धामों के कपाट उद्घाटन में शामिल होंगे।