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दो हजार हरे पेड़ काटने की तैयारी, विभाग को प्रस्ताव तक नहीं मिला, लगा दिए लाल निशान

ख़लंगा

वन विभाग को खलंगा में भूमि हस्तांतरण का कोई प्रस्ताव नहीं मिला। केंद्र सरकार की ओर से भी अभी इस तरह की कोई अनुमति नहीं मिली। वहीं पर्यावरण प्रेमी पेड़ों को काटे जाने का विरोध कर रहे हैं।

खलंगा में सौंग परियोजना के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के नाम पर साल के करीब दो हजार हरे पेड़ों को काटे जाने की तैयारी है। पेड़ों पर लाल निशान लगा दिए गए हैं। जबकि वन विभाग का कहना है कि पेयजल निगम की ओर से वन भूमि हस्तांरण का अब तक कोई प्रस्ताव नहीं मिला न ही केंद्र से इसकी मंजूरी मिली है।

वन संरक्षक यमुना वृत्त कहकशां नसीम के मुताबिक वन विभाग को खलंगा में भूमि हस्तांतरण का कोई प्रस्ताव नहीं मिला। केंद्र सरकार की ओर से भी अभी इस तरह की कोई अनुमति नहीं मिली। पेयजल निगम को पूर्व में बताया गया था कि खलंगा के बजाए किसी अन्य स्थान पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जाए।

इसके लिए निगम को दो से तीन जगह भी दिखाई। जहां कम पेड़ थे, लेकिन निगम को यह जगह पसंद नहीं आई। उधर पर्यावरण प्रेमी पेड़ों को काटे जाने का विरोध कर रहे हैं। उनकी ओर से पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांधा गया है। उनका कहना है कि पेड़ों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन की तर्ज पर आंदोलन शुरू किया जाएगा।

पेयजल के लिए खलंगा क्षेत्र की सात हेक्टेयर जमीन चिन्हित

सौंग बांध परियोजना से पेयजल आपूर्ति के लिए खलंगा क्षेत्र की सात हेक्टेयर जमीन चिन्हित की गई है। पेयजल निगम यहां इन दिनों पेड़ों को चिन्हित कर रहा है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि इससे ही आधे शहर में आसानी से पेयजल आपूर्ति संभव है।

करीब तीन हजार करोड़ की सौंग बांध परियोजना में 524 करोड़ की पेयजल परियोजना बनेगी। इसके लिए सौंग बांध के नजदीक ऊंचाई वाले स्थान पर रिजर्व वेयर बनाया जाएगा। इसके लिए पेयजल निगम को सात हेक्टेयर जमीन की जरूरत है। जिसमें 4.2 हेक्टेयर भूमि पर 150 एमएलडी का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनेगा। पेयजल निगम ने खलंगा के निकट ऐसी भूमि चिन्हित की है, जिससे पूरे दबाव के साथ आधे देहरादून शहर को पानी की आपूर्ति की जा सकेगी। मुख्य अभियंता संजय सिंह का कहना है कि यह उपयुक्त भूमि है, क्योंकि यहां से पानी की आपूर्ति में लाइनों में दबाव पूरा रहेगा। उनका कहना है कि अन्य किसी स्थान पर पानी का दबाव व्यावहारिक नहीं है।

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