
उत्तराखंड में नवचयनित औषधि निरीक्षकों के लिए सोमवार से एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत हुई। देहरादून स्थित FDA भवन में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन स्वास्थ्य सचिव एवं खाद्य संरक्षा और औषधि प्रशासन के आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार ने किया। उन्होंने प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह केवल एक सरकारी नौकरी नहीं, बल्कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है।
डॉ. कुमार ने साफ शब्दों में कहा कि निरीक्षकों का प्राथमिक दायित्व है राज्य के हर नागरिक तक गुणवत्तायुक्त और सुरक्षित दवाएं समय पर पहुंचाना। उन्होंने औचक निरीक्षण, दवा नमूनों का संग्रह, भंडारण स्थलों की जांच और दवा आपूर्ति व्यवस्था की निगरानी जैसे अहम पहलुओं पर गंभीरता से काम करने की बात कही। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा, “जनता को भरोसेमंद औषधियां मिलें, यही स्वास्थ्य सेवा की बुनियाद है।”
कार्यक्रम में अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने भी प्रशिक्षण की अहमियत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि राज्य की औषधि निगरानी प्रणाली को मज़बूती देने की एक ठोस पहल है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान औषधि निरीक्षकों को कानूनी, नैतिक, तकनीकी और फील्ड स्तर की जानकारी दी जाएगी, जिससे वे नकली और घटिया दवाओं के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई कर सकें।
इस बहुपरतीय प्रशिक्षण में Drugs & Cosmetics Act, 1940, Narcotic Drugs & Psychotropic Substances Act, 1985, Drugs Price Control Order (DPCO) और Drugs & Magic Remedies Act जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर फोकस किया जा रहा है। साथ ही, सैंपलिंग प्रक्रिया, न्यायिक प्रक्रिया, पुलिस समन्वय और फील्ड विज़िट्स को भी प्रशिक्षण का हिस्सा बनाया गया है।
प्रशिक्षण में देश के विभिन्न राज्यों से आए अनुभवी विशेषज्ञ भी अपना अनुभव साझा कर रहे हैं। हरियाणा के पूर्व औषधि नियंत्रक नरेंद्र आहुजा ने कहा कि निरीक्षकों को केवल तकनीकी नहीं बल्कि मानवीय संवेदनाओं को भी समझने की ज़रूरत है। वहीं, उड़ीसा के पूर्व औषधि नियंत्रक महापात्रा ने अंतरराज्यीय समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सुशांत महापात्रा ने औषधि से जुड़े कानूनी पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विधिक समझ एक निरीक्षक की कार्यक्षमता को मजबूत बनाती है।
यूएसएफडीए और डब्ल्यूएचओ से जुड़ी विशेषज्ञ अर्चना बहुगुणा ने अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप औषधि निरीक्षण प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता बताई और कहा कि इससे न सिर्फ आम जनता को लाभ मिलेगा, बल्कि भारतीय दवा उद्योग को वैश्विक स्तर पर नई पहचान भी मिलेगी।
यह प्रशिक्षण आने वाले हफ्तों में कई चरणों में आयोजित किया जाएगा और इसके माध्यम से राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता, प्रभावशीलता और सुरक्षा को और अधिक मजबूती देने की उम्मीद की जा रही है।